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विशेषज्ञों का दावा: मोबाइल टॉवर से फैलती हैं अनेक बीमारियां, विरोध में पक्ष व विपक्ष हुआ लामबंद

Admin Delhi 1
13 March 2023 2:53 PM GMT
विशेषज्ञों का दावा: मोबाइल टॉवर से फैलती हैं अनेक बीमारियां, विरोध में पक्ष व विपक्ष हुआ लामबंद
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एनसीआर नॉएडा न्यूज़: आम जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वाले मोबाइल टॉवर के विरोध में आम नागरिकों के साथ-साथ राजनेता आंदोलनरत हैं। इस आंदोलन में सबसे अनोखी बात यह सामने आई है कि इस मुद्दे पर नोएडा की सत्तारूढ पार्टी (पक्ष) व विपक्षी पार्टियां (विपक्ष) भी इस मुद्दे पर एकजुट होकर सेक्टर-12 में मोबाइल टॉवर लगाने का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि सरकारी तंत्र जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। (इसी समाचार में नीचे पढ़ें मोबाइल टॉवर में रेडिएशन से होने वाले खतरों के बारे में)।

आपको बता दें कि एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनपद गौतमबुद्धनगर में औद्योगिक विकास व निवेश के लिए भगीरथ प्रयास में जुटे हैं। वहीं उनके ही मातहत विभाग नोएडा प्राधिकरण लाखों लोगों की सांसें छीनने पर आमादा है। यहां सेक्टर-12 में मोबाइल टॉवर के विरोध में स्थानीय लोगों के अलावा सत्ता पक्ष व विपक्ष के लोग एक साथ लामबंद हैं। आम नागरिकों का आरोप है कि प्रशासनिक तंत्र ने मोबाइल टॉवर लगाने वाली कंपनी व ठेकेदार के सामने पूरी तरह से घुटने टेक दिए हैं। यही नहीं, पुलिस इस मोबाइल टॉवर का विरोध करने वाले आम लोगों व महिलाओं के खिलाफ फर्जी तौर पर नोटिस देकर उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दे रही है।

बता दें कि सेक्टर-12 के एन ब्लॉक में रिहायशी इलाकों के बीच में स्थिति पार्क में नोएडा प्राधिकरण ने 100 फुट ऊंचे मोबाइल टॉवर लगाने की अनुमति प्रदान कर दी। जब मोबाइल टॉवर लग रहा था तो ठेकेदार ने लोगों को यह कह कर भ्रमित किया कि यहां पर हाई मास्क लाइट लगेगी। लेकिन बाद में पता चलने पर लोगों ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया।

स्थानीय पुलिस ने इस मोबाइल टॉवर का विरोध करने वाली एक दर्जन महिलाओं समेत 22 लोगों को नोटिस भिजवा दिए तथा उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। इसके बाद भी लोगों का विरोध थमा नहीं है। इस मामले में शनिवार को भारतीय जनता पार्टी, बजरंग दल व भाजपा युवा मोर्चा के अलावा विभिन्न राजनीति दलों के लोगों, सामाजिक संगठनों तथा सेक्टरवासियों ने मोबाइल टॉवर के आसपास की जाली काट दी तथा बिजली का कनेक्शन काट दिया।

सोमवार को फिर ठेकेदार के लोग टॉवर का काम करने पहुंचे। लोगों ने इसका विरोध किया तथा पुलिस व ठेकेदार के सामने प्रदर्शन भी किया। मौके पर भाजपा के कई कार्यकर्ता भी पहुंच गए। लोग पूछ रहे हैं कि ऐसा क्या कारण है कि लाखों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले मोबाइल कंपनी तथा ठेकेदार के हित के लिए प्राधिकरण तथा पुलिस द्वारा लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।

जनप्रतिनिधि हैं मौन

सेक्टरवासियों का आरोप है कि इस मामले में शहर की सबसे बड़ी कथित यानि फोनरवा के पदाधिकारी तथा स्थानीय विधायक व सांसद चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। आम लोगों की शिकायत है कि इस मामले में ठेकेदार ने स्थानीय पुलिस को मोटी रकम देकर अपने पक्ष में कर लिया है। वहीं आम जनता को फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है। लाखों लोगों से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार व प्रशासन की चुप्पी बड़े सवाल खड़े कर रही है।

शहर से बाहर लगने थे मोबाइल टॉवर

घनी आबादी के बीच मोबाइल टॉवर लगाने का पिछले 10 वर्षों से विरोध होता रहा है। वर्ष-2016 में जनता के दबाव में नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एक नई टॉवर नीति बना दी थी। इस नीति में कहा गया था कि कोई भी मोबाइल टॉवर आबादी के बीच में नहीं लगेगा। तय किया गया था कि मोबाइल टॉवर आबादी से दूर स्थित ग्रीन बेल्ट में लगाए जाएंगे। इस नीति पर काम भी हुआ। किन्तु न जाने किसके दबाव अथवा लालच में नोएडा प्राधिकरण घनी आबादी वाले सेक्टर-12 के बीचोंबीच मोबाइल टॉवर लगाने पर अड़ा हुआ है।

मोबाइल टॉवर से फैलती है बीमारी

मोबाइल टॉवरों से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए बड़ा खतरा है। चिकित्सा जगत के अनेक विशेषज्ञों द्वारा बार-बार इस प्रकार की चेतावनियां दी जा चुकी हैं। मोबाइल रेडिएशन के ऊपर एक दर्जन से अधिक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हो चुके है। आईआईटी मुंबई के इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर प्रो0 गिरीश कुमार का इस संबंध में कहना है कि मोबाइल रेडिऐशन से अनेक प्रकार की दिक्कतें होती हैं। इन दिक्कतों में लोगों में सिर दर्द, झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, नींद न आना, आंखों में ड्राईनेस का होना, किसी भी प्रकार के काम में ध्यान न लगना, कानों में अजीब तरह की आवाजें आना, सुनने में दिक्कत पैदा होना, याददाश्त खराब होना, यहां तक कि डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारी भी इस रेडिएशन से हो सकती है। इतना ही नहीं एक स्टडी में यहां तक कहा गया है कि मोबाइल टॉवर से लम्बे समय तक संपर्क में रहने से प्रजनन क्षमता तक कम हो सकती है। कैंसर, ब्रेन टयूमर जैसी घातक व असाध्य बीमारियां भी इससे पैदा हो सकती है। सब जानते हैं कि मानव शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है। दिमाग में भी 90 प्रतिशत पानी पाया जाता है। यह पानी धीरे-धीरे शरीर पर पडऩे वाले रेडिएशन को ग्रहण करता है जो आगे जाकर सेहत के लिए बेहद नुकसान दायक हो जाता है।

मोबाइल फोन या मोबाइल टॉवर किससे होता है ज्यादा नुकसान

प्रो. गिरीश कुमार के मुताबिक चौंकाने वाली बात यह है कि जो मोबाइल फोन हर वक्त हमारे पास होता है उससे रेडिएशन का नुकसान कम होता है और टॉवर से अधिक होता है। प्रो. गिरीश इसका कारण बताते हुए स्पष्ट करते हैं कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल हम लगातार नहीं करते है। जबकि मोबाइल टॉवर 24 घंटे रेडिएशन फैलाते रहते हैं। मान लीजिए कोई व्यक्ति मोबाइल पर 24 घंटे में 2 घंटे बात करता है तो उसकी भरपाई करने के लिए शरीर को 22 घंटे मिलते हैं। जबकि टॉवर के पास रहने वाले उससे निकलने वाली तरंगों के हर वक्त संपर्क में रहते हैं। अगर आपके घर के आसपास टॉवर लगा है तो वहां रहने वाले लोगों को 6 से 7 महीने के अंदर ही सेहत से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। मोबाइल टॉवर के 300 वर्गमीटर वाले क्षेत्र में इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। जिस टॉवर पर जितने अधिक एंटीना लगे होंगे उनसे उतना अधिक रेडिएशन निकलता है।

यहां पेश है कुछ बोलते हुए आंकड़े

वर्ष-2010 में प्रतिष्ठित संस्था डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में साफ-साफ खुलासा हुआ है कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर फैलता है। जर्मनी के एक वैज्ञानिक का दावा है कि जो लोग मोबाइल टॉवर के 400 वर्ग मीटर के रेडियश में रहते हैं उनमें कैंसर जैसे घातक बीमारी का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। 2010 की एक रिसर्च में दावा किया है कि लम्बे समय तक मोबाइल टॉवर के आसपास रहने के कारण टयूमर होने की संभावना 10 गुना तक बढ़ जाती है। इसी प्रकार के अनेक रिसर्च व विशेषज्ञों के दावे व घोषणाएं सरकारी फाइलों में भरी पड़ी हैं। विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी देते हैं कि आबादी वाले क्षेत्र में मोबाइल टॉवर लगाना मानवता के साथ खिलवाड़ है।

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