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यूक्रेन से भारतीयों की वापसी में प्रति घंटा 7-8 लाख रुपये का खर्च: एयर इंडिया

Admin Delhi 1
27 Feb 2022 3:07 PM GMT
यूक्रेन से भारतीयों की वापसी में प्रति घंटा 7-8 लाख रुपये का खर्च: एयर इंडिया
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यूक्रेन में फंसे सैकड़ों भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए संचालित की जा रही एयर इंडिया की उड़ानों पर सात-आठ लाख रुपये प्रति घंटे की दर से लागत आ रही है। एयर इंडिया रूस के हमले का सामना कर रहे यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्याॢथयों एवं अन्य नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए बड़े आकार वाले ड्रीमलाइनर विमानों का इस्तेमाल कर रही है। युद्धग्रस्त यूक्रेन के पड़ोसी देशों रोमानिया और हंगरी के हवाईअड्डों पर ये विमान उतर रहे हैं और वहां पहुंचे भारतीयों को लेकर लौट रहे हैं। अभी तक कई सौ भारतीय नागरिकों को इस अभियान के तहत वापस लाया जा चुका है। इन उड़ानों का संचालन भारत सरकार के निर्देश पर हो रहा है। एयर इंडिया के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस अभियान में ड्रीमलाइनर विमान की उड़ान पर प्रति घंटा करीब सात से आठ लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इस सूत्र ने कहा कि एक बचाव अभियान में आने वाली कुल लागत इस पर निर्भर करेगी कि विमान कहां पर जा रहा है और कितनी दूरी का सफर तय कर रहा है। इस हिसाब से एक अभियान में भारत से यूक्रेन के करीब जाने और वहां से भारतीय नागरिकों को लेकर लौटने पर 1.10 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो रहे हैं। कुल लागत में विमान ईंधन, चालक दल के सदस्यों का पारिश्रमिक, नैविगेशन, लैंङ्क्षडग एवं पाॢकंग शुल्क शामिल हैं।


इस सूत्र ने नाम सामने न आने की शर्त पर कहा कि अभियान में लगने वाले लंबे समय को देखते हुए चालक एवं सहयोगी स्टाफ के दो समूह रखे जाते हैं। पहला समूह विमान को लेकर गंतव्य तक जाता है और फिर वापसी की उड़ान में दूसरा समूह कमान संभाल लेता है। फिलहाल एयर इंडिया इस बचाव अभियान के तहत रोमानिया के शहर बुखारेस्ट और हंगरी के बुडापेस्ट के लिए उड़ानें संचालित कर रही है। इन दोनों ही गंतव्यों तक एयरलाइन की अधिसूचित हवाई सेवाएं नहीं हैं। उड़ानों को ट्रैक करने वाली वेबसाइट फ्लाइटअवेयर के मुताबिक, बुखारेस्ट से मुंबई आने वाली उड़ान करीब छह घंटे की थी। इसी तरह बुखारेस्ट से दिल्ली का सफर भी छह घंटे लंबा रहा। हालांकि, आने-जाने में लगने वाला समय बढऩे पर बचाव अभियान की लागत भी बढ़ जाएगी।


हालांकि, सरकार यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए चलाए जा रहे इस बचाव अभियान का कोई शुल्क नहीं ले रही है। कुछ राज्य सरकारों ने भी घोषणा की है कि वे अपने राज्यों के निवासियों को यूक्रेन से लाने पर लगने वाले खर्च का बोझ उठाएंगी। सूत्र ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद इसपर आई पूरी लागत की गणना की जाएगी और वह सरकार को पूरा बिल भुगतान के लिए भेजेगी। इस अभियान में इस्तेमाल हो रहे ड्रीमलाइनर विमान में 250 से अधिक सीटें होती हैं। ड्रीमलाइनर के एक पायलट के मुताबिक इसकी उड़ान पर प्रति घंटे पांच टन विमान ईंधन की खपत होती है।



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