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शराब के ठेके में सेल्समैन की नौकरी करता था निष्कासित कांग्रेस नेता, ऐसे शुरू किया काले कारोबार का खेल
jantaserishta.com
24 Jan 2022 1:59 AM GMT
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जहरीली शराब का मामला
शिमला: कांग्रेस से निलंबित महासचिव नीरज ठाकुर कभी शराब के ठेके में सेल्समैन की नौकरी करता था। यहीं से नकली शराब का आइडिया लेकर उसने इस काले कारोबार का खेल शुरू किया। उसके पास आज खुद के 17 शराब के ठेके हैं। वह कुछ समय में ही करोड़ों का मालिक बनकर पैसों के दम पर नेतागिरी चमकाने लगा। नीरज ठाकुर के लंबलू और बोहणी में दो होटल और चंडीगढ़ में एक आलीशान कोठी भी है। कई लग्जरी वाहन भी हैं। सूत्रों के अनुसार वहीं से नकली शराब का पूरा कारोबार ऑपरेट होता था।
अब एसआईटी नीरज और एनएसयूआई के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार की चल- अचल संपत्ति खंगालने में जुटी है। बैंक खातों की ट्राजेंक्शन और लॉकर की जांच की जा रही है। इसके अलावा राजस्व विभाग से भी रिकॉर्ड मांगा गया है कि दोनों के पास कितनी जमीन जायदाद है। रविवार को भी हमीरपुर थाने के भीतर एसआईटी ने शराब कारोबारी नीरज ठाकुर से पूछा है कि हमीरपुर के पन्याला में चल रही शराब फैक्ट्री संचालक से उसके क्या संबंध हैं। शराब के अलावा अन्य कारोबार और आय के स्रोतों के बारे में भी पूछताछ की है।
सूत्रों के मुताबिक एसआईटी अब शराब मामले में शामिल और संदिग्ध पाए गए सभी मुख्य आरोपियों की संपत्तियों की ईडी से जांच की मांग कर सकती है। बताते हैं कि हमीरपुर जिला कांग्रेस महासचिव बनने के साथ उसने राजनैतिक रसूख खूब चमकाया। जैसे-जैसे पैसा बरसने लगा नीरज के कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ संबंध भी बढ़ने लगे और काम भी। देखते ही देखते नीरज और करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा।
उधर नकली शराब के नेक्सेस की अहम कड़ी एनएसयूआई का पूर्व जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार भी उसके संपर्क में था। उसके साथ मिलकर नीरज के कारोबार बढ़ाया। मंडी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता के साथ भी नीरज ठाकुर का कनेक्शन बताया जा रहा है। महासचिव की तैनाती में अहम रोल भी इसी वरिष्ठ नेता का बताया जा रहा है। आने वाले समय में बड़े सफेदपोशों का खुलासा हो सकता है।
कांग्रेस नेता के भवन से नकली शराब मिलने के बाद एसआईटी ने नीरज को पहले डिटेन किया। बाहर न जाने की हिदायत के साथ छोड़ दिया। अब उसे पुलिस की चाल कहें या कुछ और नीरज चंडीगढ़ चला गया और चंडीगढ़ लिंक और बैंक खातों को खंगालते हुए पुलिस को साक्ष्य मिले। एसआइटी ने उसे शनिवार को चंडीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया।
जिला हमीरपुर में चल रही फैक्ट्री से शराब खरीदने का ठेकेदारों को दोहरा फायदा होता था। एक तो उन्हें बाहर से शराब मंगवाने का झंझट नहीं रहता था। दूसरा ट्रांसपोर्ट खर्च के रूप में लाखों रुपये की बचत होती थी। इसके साथ ही लोकल शराब के एक्साइज विभाग के रिकॉर्ड में न होने के कारण इस शराब पर वैट भी नहीं देना पड़ता था। जबकि, लाइसेंसी शराब फैक्ट्री से शराब मंगवाने पर ट्रांसपोर्ट और जीएसटी का खर्च उठाना पड़ता है।
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