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Haryana. हरियाणा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म हो चुकी है। 8 अक्टूबर को पता चलेगा कि BJP यहां जीत की हैट्रिक पूरी करेगी या 10 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी होगी। इन सवालों का जवाब जानने के लिए हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों तक पहुंचे। आम लोगों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स और सीनियर जर्नलिस्ट से बात करके हवा का रुख समझा। इस बातचीत से समझ आया कि हरियाणा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और वह अपने बलबूते सरकार भी बना सकती है। लगातार दो बार से सरकार बना रही BJP बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों के आंकड़े से दूर दिख रही है। पार्टी दूसरे नंबर पर रह सकती है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि 18 सीटें ऐसी हैं, जहां दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है।
#HaryanaElection : According to the Dhruv Research Exit Poll, Congress is projected to win 50-64 seats pic.twitter.com/VDhj6NLii2
— IANS (@ians_india) October 5, 2024
BJP-कांग्रेस के अलावा बाकी पार्टियों में इनेलो-बसपा गठबंधन, जजपा-असपा गठबंधन, आम आदमी पार्टी कोई उलटफेर करते नजर नहीं आ रहे। हरियाणा के पॉलिटिकल एक्सपर्ट विजय सभरवाल कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता BJP इस बार जीत की हैट्रिक लगा पाएगी। पहली वजह ये है कि 2014 और 2019 में PM मोदी का नाम चला था, अब ऐसा नहीं है। किसानों को 13 महीने आंदोलन पर बैठना पड़ा। इससे रूरल एरिया में पार्टी के खिलाफ माहौल बना है। वहां लोग BJP को पसंद नहीं कर रहे हैं।' ‘दूसरी वजह मनोहर लाल खट्टर हैं। उन्होंने 10 साल तक दूसरे नेताओं को निपटाने की राजनीति की। जाट नेता निपटा दिए, अनिल विज को किनारे कर दिया। ये चीजें मैटर करती हैं। पुराने नेताओं को खत्म करने का नुकसान हुआ।
कांग्रेस से गए नेताओं की क्रेडिबिलिटी कम हो चुकी है।’ 'तीसरी वजह है नायब सैनी को आखिरी टाइम पर मुख्यमंत्री बनाना। इसका बहुत असर नहीं हुआ। उन्हें सैनी समाज का सपोर्ट जरूर है, लेकिन पूरा समाज कभी भी एक लीडर के सपोर्ट में नहीं होता। सैनी को पहले CM बना देते, तो शायद वे BJP को अच्छी स्थिति में ला सकते थे। कांग्रेस की बात करें तो कुमारी सैलजा कांग्रेस को ज्यादा डैमेज नहीं कर पाएंगी। रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी डैमेज कर सकते थे।' हरियाणा के पॉलिटिकल एक्सपर्ट धर्मेंद्र कंवारी कहते हैं, ‘कांग्रेस ऐसी पार्टी नहीं, जो प्लस-माइनस पॉइंट पर चलती हो। कांग्रेस ने पिछले 10 साल में ऐसा कुछ नहीं किया कि प्रदेश के लोग उस पर मेहरबान हो जाएं।’
‘कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति इसलिए बन रही है क्योंकि BJP ने 10 साल में अच्छा काम नहीं किया। हरियाणा के लोगों ने तो 10 साल पहले इसी कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था। कांग्रेस को तीसरे दर्जे की पार्टी बना दिया था।’ ‘BJP के खराब काम का फायदा कांग्रेस को मिल रहा है। BJP का तो पूरा प्रचार सैलजा से शुरू होकर सैलजा पर खत्म हो गया। BJP की रणनीति थी कि एससी वोट बैंक को हिला दें, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।’ ‘2019 में BJP ने 75 पार का नारा दिया था। तब लग रहा था वो सरकार बनाएगी और बनाई भी। यही माहौल कांग्रेस का है। 250 छोटे-बड़े नेता कांग्रेस में चले गए। इससे कांग्रेस अच्छी स्थिति में दिखाई दे रही है।’ ‘कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा ऐसे फैक्टर हैं, जिनका कोई इलाज नहीं है। सैलजा के ऐसे बयान भी आए, लेकिन कांग्रेस से BJP में गए अशोक तंवर के पार्टी में वापस आने से यह मामला थम गया।’ कंवारी आगे कहते हैं, ‘2019 से 2024 का BJP का कार्यकाल करप्शन वाला रहा।
फैमिली ID और प्रॉपर्टी ID ने हरियाणा में BJP को लोगों के बीच अनपॉपुलर बना दिया। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपना मुख्यमंत्री बदला। पंजाबी चेहरे से OBC चेहरे पर आए। नायब सिंह सैनी को अभी हरियाणा का पता नहीं है। उन्हें जीत के लिए हेमा मालिनी को लाना पड़ रहा है।’ सीनियर जर्नलिस्ट कुमार मुकेश कहते हैं, ‘कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाते दिख रही है। इस बार BJP के लिए 2019 के मुकाबले ज्यादा एंटी इनकम्बेंसी है। किसान आंदोलन का काफी असर रहा। यही वजह है कि कांग्रेस रुझानों में आगे दिख रही है। मुझे लगता है कि रुझान सही रहने वाले हैं। ‘जहां तक रीजनल पार्टियों का सवाल है, तो मुझे लगता है जिस तरह लोकसभा चुनाव में लोगों ने BJP और कांग्रेस को ही वोट दिए, विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही वोटिंग हुई। रीजनल पार्टियों का असर नहीं रहा। एक बात और अहम है कि लोगों काे कांग्रेस से कोई ज्यादा प्रेम नहीं है।' ‘BJP ने जरूर कुमारी सैलजा के बहाने दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की, मगर कुमारी सैलजा बाद में एक्टिव हो गईं और कांग्रेस के लिए प्रचार किया।’
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