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अनूपपुर: हर व्यक्ति की अंतिम इच्छा होती है कि मरने के बाद उसे अपनों के कंधे का सहारा मिले, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तब होता है जब इंसान के पास उसका अपना कोई नहीं बचा होता. ऐसा ही अनूपपुर में जिले सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसे न तो कोई कंधा देने वाला था और न कोई अंतिम संस्कार करने वाला. ऐसे में गांव के सरपंच व सामाजिक कार्यकर्ता उस बेसहारा के लिए न केवल सहारा बने, बल्कि पूरे विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार कर इंसानियत की एक मिशाल पेश की.
यह मामला अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरहा के पेजहाटोला का है.जहां रहने वाली 60 वर्षीय गीता बाई के परिवार में कोई नहीं है. पति के गुजर जाने के बाद असहाय गीता मवेशियों को चरा कर अपना गुजर बसर कर रही थी. इसी बीच अचानक वह बीमार पड़ गई. उसे गंभीर अवस्था में उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था,जहां उसकी मौत हो गई.
परिवार में कोई नहीं होने के कारण न तो कोई उसका शव लेने आया और न ही कोई अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद था.ऐसे में जिले के सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल व गांव के सरपंच सहित पुलिसकर्मी उसके शव के वारिस बने और उसका अंतिम संस्कार किया. जिनकी हर तरफ तारीफ हो रही है.
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