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जंगलों में हर साल लगती है आग, देश में चौथे स्थान पर ये राज्य

jantaserishta.com
19 April 2022 2:39 PM GMT
जंगलों में हर साल लगती है आग, देश में चौथे स्थान पर ये राज्य
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भुवनेश्वर: जंगल में आग लगने के मामले में ओडिशाा देश में चौथे स्थान पर है। इन दिनों शिमिलीपाल अभयारण्य के साथ प्रदेश के 13 वनखंड में आग लगी हुई है। ऐसे में ओडिशा के जंगल को येलो जोन में रखा गया है। वन विभाग की तरफ से आग पर काबू पाने के प्रयास जारी है।

फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की तरफ से जारी किए गए तथ्य के मुताबिक देश के विभिन्न जंगलों में इन दिनों आग की घटनाएं देखी गई हैं। देश के 171 वनखंड में इस समय आग लगी है इसमें ओडिशा के 13 वनखंड शामिल हैं। इस समय जंगल में आग लगने के मामले में पहले स्थान पर मध्य प्रदेश है जबकि दूसरे स्थान पर उत्तराखंड एवं तीसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ और चौथे स्थान पर ओडिशा है। ओडिशा के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए संपृक्त वनखंड के अधिकारी प्रयास जारी रखे हुए हैं।
ओडिशा के जंगलों में हर साल लगती है आग
मिली सूचना के मुताबिक सोमवार देर रात को मालकानगिरी वनखंड के चित्रकोण्डा में 18 जगहों पर, बालीमेला में 8 जगहों पर आग लगी है। उसी तरह से कालाहांडी वनखंड के थुआमूल रामपुर में तीन जगह, बालीगुड़ा वनखंड के कोटागड़ रेंज में तीन जगह, ब्राह्मणी गांव वनखंड में 4 जगह पर आग लगी है। आग लगने वाले वनखंडों में घुमुसुर दक्षिण के खलिकोट रेंज के अधीन तीन जगह, रायगड़ा वनखंड के काशीपुर वनखंड में 8 जगह तथा अनुगुल जिला आठमलिक वनखंड में 26 जगहों पर आग लगी है। ओडिशा के जंगलों में आग लगने की घटना आज कोई नई घटना नहीं है। यहां के जंगलों में हर साल आग लगती है। जंगलों में आग लगने के कारण मिट्टी की नमी कम हो जाती है, तापमान में बढ़ोत्तरी होती है। हर साल दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से फरवरी अंतिम सप्ताह के बीच उत्तर ओडिशा के वायुमंडल में वेस्टर्न डिस्टरवान्स नामक मानसूनी प्रक्रिया शुरू होती है। इससे पश्चिम पूर्व दिशा में जलवायु प्रवाहित होती है। परिणाम स्वरूप उत्तर ओडिशा के शिमिलीपाल के आस-पास इलाके, केन्दुझर सुन्दरगड़ आदि जिलों में बारिश होती है, जिससे जंगल की नमी की रक्षा हो जाती है।
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यहां उल्लेखनीय है कि जंगल में प्राय: दो कारणों से आग लगती है। एक तो पेड़ों के आपस में घिसने से और दूसरा बिजली गिरने से। हालांकि ओडिशा के जंगलों में आग लगने का तीसरा कारण मानवकृत भी है। जंगली जानवरों का शिकार, महू संग्रह करने की लालच, वन्य सामग्री संग्रह करने, सिगरेट पीकर फेंक देने तथा बिजली तार के कारण ओडिशा के जंगलों में आग लगती है। गर्मी के दिनों में यहां तापमान लगभग 40 डिसे रहता है। ऐसे में मानसून में आद्रता ना होने से जंगल सूखना शुर हो जाता है। ओड़िशा के जंगलों में पतझड़ हाता है यही कारण है कि यहां के जंगलों में सामान्य रूप से फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह मई महीने के दूसरे सप्ताह तक आग की घटना होती है।
देश के विभिन्न जंगल में लगने वाली आग तीन प्रकार से लगती है। सरफेस फायर, क्राउन फायर एवं ग्राउंड फायर। सरफेस फायर को नियंत्रण करना सम्भव है क्योंकि इसका विधिवत प्रतिषेधक व्यवस्था के साथ किया जाता है। ग्राउंड फायर सामान्यत मानव कृत होता है, जिसे नियंत्रण कर पाना सम्भव नहीं होता है। कभी-कभी जंगल में पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए भी आग लगायी जाती है। प्रकृत के स्रोत को पुर्नविन्यास करने, जंगल में आग को नियंत्रण करने, वन्यजीवों के खाद्य को व्यवस्थित करने, जंगल को उच्च एवं अन्य कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए, क्षतिकारक जीवों को नष्ट करने के लिए जंगल में आग लगाने की आवश्यकता रहती है।
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