धर्मशाला। तपोवन में 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक आयोजित हुए शीतकालीन सत्र में ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब प्रदेश के बेरोजगार रोजगार की आस लिए मुख्यमंत्री से मिलने न पहुंचे हो। आलम ऐसा था कि बेरोजगारों के प्रतिनिधिमंडल सुबह ही जोरावर स्टेडियम में पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिलने की राह ताकते रहे। घंटों इंतजार …
धर्मशाला। तपोवन में 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक आयोजित हुए शीतकालीन सत्र में ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब प्रदेश के बेरोजगार रोजगार की आस लिए मुख्यमंत्री से मिलने न पहुंचे हो। आलम ऐसा था कि बेरोजगारों के प्रतिनिधिमंडल सुबह ही जोरावर स्टेडियम में पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिलने की राह ताकते रहे। घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें सीएम से मिलने का अवसर प्राप्त होता, जिसमें करुणामूलक संघ हो, स्थायी नीतियों को लेकर मांग हो, आउटसोर्स कर्मचारी हो या भर्ती परीक्षा के परिणामों को जल्द निकालने की गुहार लेकर पहुंचने वाले बेरोजगार संघ हो। सबकी एक ही गुहार रही कि सरकार उनके लिए रोजगार का प्रबंध करें। धर्मशाला की सेंटर यूनिवर्सिटी के 30 करोड़ जमा न करवाने पर भी धर्मशाला शहर में सरकार के खिलाफ आक्रोश का माहौल देखने को मिला। विधानसभा सत्र के दौरान समाजसेवी संस्थाओं ने जहां अधिकार रैली निकालकर सरकार से जल्द पैसा जमा करवाने की आवाज बुलंद की हो तो वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के जदरांगल स्थित कैंपस निर्माण के लिए सरकार की ओर से फंड जमा न करवाने पर आक्रोश रैली निकालकर विरोध जताया, जिसके बाद सत्र के अंतिम दिन समाजसेवी संस्थाओं ने जोरावर स्टेडियम में गरुड़ पुराण का आयोजन किया।
इसके विपरीत विधान सदन में हिमाचल के विकास पर हल्की नोंक-झोंक के बीच चर्चाओं को दौर जारी रहा, तो वहीं तपोवन की सडक़ों पर रोजगार की आस लिए बेरोजगारों के नारे गूंजते रहे। वहीं शनिवार को जल शक्ति पैरा वर्कर संघ सहित भीम आर्मी संघ और अन्य संघ जोरावर स्टेडियम पहुंचे। जलशक्ति विभाग के पैरा वर्करों ने मांग उठाई कि उनके लिए एक स्थायी नीति बनाई जाएं, तो वहीं भीम आर्मी संघ के सदस्स ने वन मित्र भर्ती में वन विभाग की ओर से 12 साल पहले निष्काशित किए गए वन राखों को प्राथमिकता दी जाए। धर्मशाला में प्रदेश भर से पहुंचे बेरोजगारों के लिए जोरावर स्टेडियम को ही सरहद बना दिया। जब बेरोजगार प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलने जोरावर पहुंचे, तो उन्हें विधानसभा सदन से डेढ़ किलोमीटर पीछे ही रोक दिया और आगे नहीं जाने दिया। हालांकि जोरावर में पहुंचे विभिन्न संघों की ओर से जोरावार स्टेडियम में ही धरने प्रदर्शन व नारेबाजी की गई। जब भी कोई संघ विधानसभा की ओर बढऩे लगता तो उसे पुलिस कर्मियों की ओर से समझा बुझा कर वहीं रोक दिया जाता।