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यूरोप का मंकीपॉक्स भारत के वायरस से अलग, वैज्ञानिकों ने दे दी ये राहतभरी खबर

HARRY
29 July 2022 6:12 PM GMT
यूरोप का मंकीपॉक्स भारत के वायरस से अलग, वैज्ञानिकों ने दे दी ये राहतभरी खबर
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भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने पाया है कि देश में फैल रहा मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) स्ट्रेन यूरोप के उस 'सुपरस्प्रेडर' स्ट्रेन से अलग है, जिससे इस बीमारी का वैश्विक प्रकोप हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV), पुणे की टीम ने केरल से मंकीपॉक्स के दो मामलों की जेनेटिक सीक्वेंसिंग की.

यूरोप का मंकीपॉक्स भारत के वायरस से अलग
इसके डाटा से पता चला कि देश में मौजूद वायरस स्ट्रेन A.2 है, जो हाल ही में मध्य पूर्व से भारत में पहुंचा है. यह पहले थाईलैंड और अमेरिका में 2021 के प्रकोप के दौरान मौजूद था. हालांकि, यूरोप में सुपरस्प्रेडर घटनाओं का कारण बनने वाला स्ट्रेन बी.1 रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों ने कहा है कि विदेशों में प्रकोप मचाने वाले स्ट्रेन से भारत में फैल रहा स्ट्रेन अलग है.
यूरोप में मंकीपॉक्स ने मचाया कहर
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने ट्वीट किया, 'माना जाता है कि मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) का वर्तमान निरंतर मानव से-मानव संचरण यूरोप में सुपरस्प्रेडर घटनाओं के माध्यम से हुआ है, जिसमें 16,000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं और यह अब 70 से अधिक देशों में फैल चुका है. यह बड़े पैमाने पर वायरस के B.1 वंशावली के रूप में दर्शाया गया है और 2022 में जीनोम के लिए प्रमुख वंशावली को शामिल करता है.'
भारत के मंकीपॉक्स ने डरने की नहीं है जरूरत
उन्होंने कहा कि ए.2 दुनिया भर में अधिकांश जीनोम के विपरीत है, जो बी.1 वंशावली से संबंधित हैं और भारत में देखा जाने वाला ए.2 क्लस्टर, 'सुपरस्प्रेडर घटना का सूचक नहीं है'. स्कारिया ने लिखा, 'इसका मतलब है कि देश में मामले संभवत: यूरोपीय सुपरस्प्रेडर घटनाओं से जुड़े नहीं हैं.'
2021 में आया था अमेरिका में मंकीपॉक्स
उन्होंने आगे कहा, 'हम मानव संचरण के एक अलग समूह को देख सकते हैं और संभवत: वर्षों से अपरिचित हो सकते हैं. अमेरिका से क्लस्टर में सबसे पहला नमूना वास्तव में 2021 से है, यह सुझाव देता है कि वायरस काफी समय से प्रचलन में है और यह यूरोपीय घटनाओं से पहले से ही है.' उन्होंने देश में जीनोमिक निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया है, क्योंकि अधिक मामले सामने आ रहे हैं.
स्कारिया ने कहा, 'सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और संचार को इन नई अंतर्दष्टि को ध्यान में रखना होगा. व्यापक परीक्षण और जागरूकता कई और मामलों को उजागर कर सकती है.'
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