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100 करोड़ की ठगी की EOW कर रही थी जांच, दरोगा के खिलाफ जांच के आदेश

Nilmani Pal
2 Aug 2023 1:02 AM GMT
100 करोड़ की ठगी की EOW कर रही थी जांच, दरोगा के खिलाफ जांच के आदेश
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लखनऊ: हेलो-राइड समेत कई कंपनियां बनाकर 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाली कंपनी की निदेशक नीलम वर्मा से केस से नाम निकालने के नाम पर पैसे लेने वाले दरोगा के खिलाफ जांच के आदेश हो गए हैं। स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था/ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के आरोपी दरोगा के साथ इस केस से जुड़े अन्य सभी विवेचकों की भूमिका के जांच के आदेश दिए हैं। यूपी एसटीएफ की गिरफ्तारी के दौरान नीलम वर्मा ने पूछताछ में बताया था कि केस की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के विवेचक को जमीन बेचकर घूस दी थी।
सूत्रों के मुताबिक आरोपी दरोगा के खिलाफ जल्द ही मुकदमा दर्ज होने के साथ विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है।
100 करोड़ की ठगी की ईओडब्ल्यू कर रही थी जांच
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक हेलोराइड लिमिटेड, इनफिनिटी वर्ड इंफ्रावेंचर लिमिटेड और ओजोन इनफिनिटी एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम से हुई ठगी की जांच ईओडब्ल्यू ट्रांसफर हो गई थी।
सूत्रों के मुताबिक 2019 को दर्ज हुए इन मामलों में फरार चल रही नीलम ने बताया कि एक दलाल के माध्यम से गोसाईंगंज स्थित एक जमीन बेंच कर विवेचक को पैसा पहुंचाया। जिससे उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई।
इसके ही चलते नीलम आराम से लखनऊ में ही रहती रही और उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई।
चर्चा है कि नीलम के बयान और अन्य साक्ष्यों के चलते जल्द ही पूर्व विवेचना करने वालों की लिस्ट तैयार कर आरोपी विवेचक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
हेलो राइड के नाम पर हजारों बेरोजगारों को ठगा
एसटीएफ के डिप्टी एसपी लाल प्रताप सिंह की टीम ने मुखबिर की सूचना पर पारा थाना क्षेत्र स्थित शुक्ला विहार निवासी नीलम वर्मा को शनिवार को मानक नगर से गिरफ्तार किया गया था। मल्टीलेवल मार्केटिंग के माध्यम से जनता से अरबों रुपए की ठगी करने वाली नीलम वर्मा ने पूछताछ में बताया था कि अभय कुशवाहा से 2013 में इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लिमिटेड कंपनी से जुड़ी।
उसके बाद 2017 मे ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड कंपनी और 2018 में हेलो-राइड लिमिटेड नामक कंपनी से जुड़ी। हेलो-राइड के जरिए लोगों को बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर 61 हजार रुपए जमा कराते थे।
जिसके बदले हर महीने 9582 रुपए एक साल तक देने का प्रलोभन 12 माह तक देने का प्रलोभन देने पर लोग आसानी से जुड़ जाते थे। इसमें अधिकतर टैक्सी चालक और बेरोजगार युवा थे। जिन्होंने रोजगार के चलते स्कीम में करोड़ों रुपया लगाया। जिसको लेकर हम भाग निकले थे।
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