मुंबई क्राइम ब्रांच के साइबर क्राइम डिपार्टमेंट ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी वेबसाइट्स के जरिए लोगों को ठगने का काम करता था. ये गिरोह वेबसाइट पर लोगों को पेट्रोल पंप और गैस एजेंसियां दिलाने का ऑफर देता था. ये गिरोह सोशल मीडिया और मैसेंजर प्लेटफार्मों पर गैस एजेंसियों या पेट्रोल पंपों ऑफर विज्ञापनों के माध्यम से देता था. और लोगों को उनकी वेबसाइट पर विजिट के लिए प्रेरित करता था. उक्त वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करने वाला एक नकली वेबसाइट पर पहुंच जाता था, जो तेल और गैस कंपनी की मूल वेबसाइट के समान लगती है. उस वेबसाइट वास्तविक समझकर लोग इस गिरोह के झांसे में आ जाते थे, और गिरोह के लोगों की मांग पर हर कोई 7 से 8 लाख रुपये भुगतान कर इनका शिकार बन जाते थे.
छानबीन में पता चला कि ये गिरोह बिहार की राजधानी पटना से चलाया जा रहा था. गिरोह के मास्टरमाइंड ने पहले तेल और गैस कंपनियों की वेबसाइटों का अध्ययन किया और फिर बैंक खाते खुलवाए. उन्होंने वास्तविक गैस और तेल कंपनियों के समान दिखने वाली वेबसाइटों को डिजाइन किया. उनसे संबंधित खातों में ही पैसा जमा कराया जाता था. जांच एजेंसी को शक है कि इस गिरोह ने कम से कम 10 हजार से ज्यादा लोगों को धोखा दिया है. साइबर अपराधियों के इस गिरोह ने ऐसी 125 से अधिक वेबसाइटें बनाई हैं, जो पेट्रोल पंप और गैस एजेंसियां प्रदान करती हैं. कुछ मामलों में पैसा लेने के लिए ऐसे लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया, जो इस गिरोह का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इस काम की एवज में उन्हें कुछ प्रतिशत कमीशन दिया गया.
ये पूरा मामला मोबाइल मैसेज और ऑनलाइन तरीके से चलने वाले फ़िशिंग और बैंकिंग घोटाले के समान है. यह गिरोह जुलाई 2018 से सक्रिय है. गिरोह का मास्टरमाइंड इस बात पर काम करता है कि कैसे लोगों को वेबसाइट तक पहुंचने का लालच दिया सकता है. गिरोह के सदस्य लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए और उन्हें लुभाने के लिए एक छोटा कॉल सेंटर भी चलाते थे. इस गिरोह के विज्ञापन Snapdeal, Reliance Towers, Naaptol, Bajaj Finance, HPCL आदि जैसी वेबसाइट्स पर दिखाई देते थे. साथ ही इन वेबसाइटों के विज्ञापन facebook जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पॉप आउट होते रहे. पकड़े गए आरोपियों में से एक इंजीनियर है. जबकि ग्रेजुएट और कुछ ग्रेजुएट कर रहे हैं. आरोपी गिरोह के लोग विज्ञापनों में कस्टमर केयर नंबर भी दिया करते थे.
मुंबई क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त मिलिंद भारम्बे ने कहा, "मुंबई पुलिस लोगों से अपील करती है कि वे सोशल मीडिया पर इस तरह के विज्ञापनों का शिकार न हों." उन्होंने बताया कि गिरोह के मास्टरमाइंड ने इस बात पर विस्तृत अध्ययन किया है कि लोगों को क्या लुभा सकता है और फिर असली जैसी दिखने वाली नकली वेबसाइटों को चलाकर लोगों को धोखा दिया. इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. ये सभी पटना में थे. कुछ गिरफ्तारियां पश्चिम बंगाल और एक महाराष्ट्र के रत्नागिरी से भी की गई हैं. बता दें कि इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई निवासी एक व्यक्ति इस गिरोह का शिकार बना और उसे लगभग 3.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ. इसके बाद उस शख्स ने साइबर पुलिस स्टेशन जाकर मामला दर्ज कराया था.