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नई दिल्ली: भारत में ऊर्जा खपत नवंबर 2024 में 5.14 प्रतिशत बढ़कर 125.44 अरब यूनिट्स (बीयू) रही। पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 119.30 बीयू था। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
बिजली की मांग में वृद्धि अर्थव्यवस्था में होने वाली वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधि के उच्च स्तर को दर्शाती है। आईसीआरए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती महीनों में वृद्धि में नरमी देखी गई थी, लेकिन पूरे साल की मांग में वृद्धि दर 5.5 से 6 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। मांग में गिरावट की वजह उच्च आधार और मानसून बारिश का प्रतिकूल प्रभाव को माना जा रहा है।
दिन में होने वाली उच्चतम आपूर्ति नवंबर 2024 में 207.42 गीगावाट रही है, जो पिछले साल समान अवधि में 204.56 गीगावाट थी। नवंबर में बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टॉक में सुधार हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टॉक का स्तर 26 नवंबर तक 13 दिनों तक पहुंच गया, जो कि 31 अक्टूबर तक 11.6 दिनों तक था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हालांकि, स्टॉक मानक स्तरों से नीचे बना हुआ है, लेकिन एक साल पहले के आंकड़े से बेहतर है। धीमी मांग वृद्धि और जल एवं परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादन में सुधार के कारण भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज (आईईएक्स) के डे-अहेड मार्केट (डीएएम) में औसत टैरिफ नवंबर 2024 में 3.3 रुपये प्रति यूनिट रहा, जो अक्टूबर 2024 के 3.9 रुपये प्रति यूनिट से काफी कम है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर में हाजिर बिजली दरें तीन साल के निचले स्तर पर थी और यह 3 से 3.5 रुपये प्रति यूनिट के दीर्घकालिक ऐतिहासिक औसत के करीब थी। मई में बिजली की अधिकतम मांग लगभग 250 गीगावाट के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। इससे पहले 243.27 गीगावाट की सर्वकालिक उच्चतम मांग सितंबर 2023 में दर्ज की गई थी।
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