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बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजे गए संतरे बेचने वाले और जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया, सोशल मीडिया पर लोग हुए कायल

jantaserishta.com
9 Nov 2021 6:13 AM GMT
बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजे गए संतरे बेचने वाले और जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया, सोशल मीडिया पर लोग हुए कायल
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नई दिल्ली: हरेकाला हजब्बा (Harekala Hajabba) और तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री (Padma Shri Award) से नवाजा गया. संतरे बेचने वाले (Orange Vendor) 68 वर्षीय हरेकाला और 72 वर्षीय पर्यावरणविद (Environmentalist) तुलसी गौड़ा को जब राष्ट्रपति भवन में ये सम्मान मिला तो दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. ट्विटर यूजर्स ने भी इन दोनों शख्सियतों को लेकर रिएक्ट किया.

आपको बता दें कि कर्नाटक के मैंगलोर शहर के रहने वाले हरेकाला हजब्बा एक संतरा विक्रेता हैं. उन्हें कभी स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई, लेकिन फिर भी वे 'अक्षर संत' के नाम से जाने जाते हैं. क्योंकि, हजब्बा ने संतरे बेचकर अपनी जमा पूंजी से गांव में एक स्कूल बनवाया, ताकि ग्रामीण बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल कर सकें. नंगे पांव और धोती-शर्ट में जब वो पद्मश्री लेने पहुंचे तो सभी ने तालियां बजाकर उनका सम्मान किया.
कैसे आया स्कूल खोलने का आइडिया?
दरअसल, एक बार हरेकाला हजब्बा से कुछ विदेशी टूरिस्ट्स ने अंग्रेजी में संतरों का दाम पूछ लिया था. लेकिन पढ़े-लिखे ना होने के कारण वह दाम नहीं बता पाए. हजब्बा ने कहा कि जिन फलों को मैं वर्षों से बेचता आ रहा हूं, उसका दाम तक नहीं बता पाने के कारण मुझे काफी शर्मिंदगी हुई. इसी के बाद उन्होंने गांव में स्कूल खोलने का फैसला किया, क्योंकि वहां कोई स्कूल नहीं था. साल 2000 में उनका सपना साकार हुआ. इसके लिए हजब्बा ने संतरे बेचकर पैसे जुटाए.
हरेकाला हजब्बा को पद्मश्री मिलने पर ट्विटर पर यूजर्स ने जमकर रिएक्शन दिए. किसी ने इसे निस्वार्थ सेवा का फल बताया तो किसी ने 'असली सम्मान बताया'. एक यूजर ने कहा- आपने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया.
'जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया' को पद्मश्री सम्मान
पद्मश्री सम्मान से नवाजी गई आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा कर्नाटक की रहने वाली हैं. पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें 'जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया' (Encyclopedia of Forest) कहा जाता है. उन्होंने अकेले ही 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और अभी भी कई नर्सरी की देखभाल करती हैं. वो पिछले 6 दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल हैं.
उन्हें पौधों और जड़ी-बूटियों की तमाम प्रजातियों के बारे में अथाह ज्ञान के कारण 'जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया' कहा जाता है. तुलसी गौड़ा को इससे पहले कई और अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. तुलसी गौड़ा नंगे पांव और धोतीनुमा पारंपरिक आदिवासी पोशाक में राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं.
तुलसी गौड़ा को पद्मश्री मिलने पर ट्विटर यूजर्स ने दिल खोलकर उनकी तारीफ की. एक यूजर ने कहा- प्रेरणादायक कहानी.
एक यूजर ने इन्हे रियल हीरोज बताते हुए इनसे प्रेरणा लेने की बात कही.
सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत देश की कई दिग्गज हस्तियां राष्ट्रपति भवन में मौजूद थीं. इस दौरान 119 विभूतियां पद्म अवॉर्ड से सम्मानित की गईं, 7 को पद्मविभूषण दिया गया, 10 को पद्म भूषण और 102 लोगों को पद्मश्री सम्मान दिया गया.


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