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पुराने पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों ने किया दिल्ली में प्रोटेस्ट

Nilmani Pal
1 Oct 2023 10:20 AM GMT
पुराने पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों ने किया दिल्ली में प्रोटेस्ट
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दिल्ली। पुरानी पेंशन बहाली के लिए देशभर से आए लाखों कर्मियों ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुंकार भरी है। केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने 'पेंशन शंखनाद महारैली' में कहा, अगर सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ती है तो 'वोट की चोट' के आधार पर 'पुरानी पेंशन' बहाल कराएंगे। सरकारी कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक साबित होगी। इस रैली में केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। हालांकि रैली का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन, कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। दिल्ली का रामलीला मैदान, सरकारी कर्मियों से खचाखच भरा हुआ था।

बता दें कि इस रैली की तैयारियां, करीब एक वर्ष से जा रही थी। कई राज्यों के कर्मचारी दो-तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। रेल, बस और दूसरे वाहनों में बैठकर कर्मचारी दिल्ली पहुंचे हैं। अनेक कर्मियों को रेल की तत्काल टिकट लेनी पड़ी। रविवार सुबह 11 बजे रामलीला मैदान पूरी तरह भर चुका था। रामलीला मैदान के चारों तरफ की सड़कों पर कर्मियों के जत्थे चल रहे थे। कर्मियों के द्वारा 'पेंशन' का नारा लगाया जा रहा था। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने 10 अगस्त को रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की थी। अब नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) द्वारा पेंशन शंखनाद महारैली आयोजित की गई है। विजय कुमार बंधु ने रैली की सफलता के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया था। बंधु ने कहा, 'पुरानी पेंशन' बहाली का मुद्दा, अब जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है। जब पांच राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो सकती है तो पूरे देश में क्यों नहीं। देश की आंतरिक और सीमा की सुरक्षा में तैनात सीएपीएफ जवानों को भी पुरानी पेंशन से वंचित रखा जा रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भारत संघ के शस्त्र बल मानते हुए उन्हें पुरानी पेन्शन का फायदा देने का फैसला सुनाया था। केंद्र सरकार ने उसे लागू करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में स्थगन आदेश ले लिया।


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