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अपनों के मरने पर आंसू बहाते हैं हाथी...

Nilmani Pal
20 May 2022 11:42 AM GMT
अपनों के मरने पर आंसू बहाते हैं हाथी...
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ये बात साल 2013 की है, तब संजीता पोखारेल ने पहली बार एशियाई हथिनी के मरने पर हाथियों के झुंड को विलाप करते देखा था. उनकी प्रतिक्रियाओं का वीडियो बनाया था. यह मादा हाथी संक्रमण की वजह से एक भारत के एक वन्य जीव अभ्यारण्य में मर गई थी. इसके शव के चारों तरफ युवा हाथी और झुंड के अन्य हाथी गोल घेरे में चक्कर लगा रहे थे.

स्मिथसोनियन कंजरवेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट की बायोलॉजिस्ट डॉ. संजीता पोखारेल ने कहा कि ये नजारा देख कर हमसे रहा नहीं गया. हमने एक उचित दूरी से पूरी घटना का वीडियो बनाया. संजीता के साथ जापान के क्योटो यूनिवर्सिटी में वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट नचिकेता शर्मा भी थे. दोनों इस बारे में और अध्ययन करना चाहते थे. क्योंकि ऐसा नजारा हमेशा देखना मुश्किल होता है. क्योंकि हाथी अक्सर घने जंगलों में रहते हैं. या फिर घास वाले मैदानों में. दोनों की स्टडी रिपोर्ट रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. दोनों बायोलॉजिस्ट ने दुनिया भर के लोगों से अपील की कि वो हाथियों के दुख जताने के वीडियो उन्हें यूट्यूब के जरिए भेज दें. इसके बाद उनके पास कई वीडियो आए जिसमें हाथियों के अलग-अलग रिएक्शन देखने को मिले. हाथी शव को छूते थे. उनके चारों तरफ चक्कर लगाते थे. सुरक्षा देते दिखे. उसे उठाने के लिए लात मारते दिखे. यहां तक कांपते हुए भी दिखाई दिए. अगर शावक हाथी मर जाता है तो उसकी मां हथिनी उसे अपनी सूंड़ से उठाकर घूमती भी है. इस तरह की स्टडी को कंपेरेटिव थानाटोलॉजी (Comparative Thanatology) कहते हैं. इसमें अलग-अलग जीवों के मरने पर उनके प्रति उनके साथी जीवों का क्या रिएक्शन रहता है, उसकी स्टडी की जाती है. डॉ. पोखारेल कहती हैं कि एशियाई हाथियों की तो कई कहानियां है. दुनियाभर के अखबारों में उनके रिएक्शन की कहानियां पब्लिश हुई हैं.

यूट्यूब पर मिले वीडियो के जरिए दोनों बायोलॉजिस्ट ने हाथी के मरने पर अन्य हाथियों के रिएक्शन के 24 केस निकाले. इस स्टडी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के रमन कुमार भी शामिल हुए. तीनों ने मिलकर नतीजा ये निकाला कि हाथी अपने साथियों के मरने पर जो सबसे सामान्य प्रतिक्रिया देते हैं, वो है छूना और सूंघना. हाथी आमतौर पर मृत हाथी के चेहरे और कान को छूते और सूँघते हैं.

युवा हाथी अपने पैरों से शव को हिलाने की कोशिश करते हैं. तीन मामले ऐसे देखने को मिले जिसमें बच्चे के मरने पर मादा हाथी उसे लगातार पैर मारकर उठाने का प्रयास करती दिखी. कई बार तो पूरे-पूरे दिन उसे उठाकर चलती रहती है. इस उम्मीद में की वो जीवित हो जाएगा. डॉ. पोखारेल कहती हैं कि एशियाई हाथी जीवित रहने पर भी छू कर अपनी संवेदनाओं को प्रकट करते हैं. ये एकदूसरे से विपरीत दिशा में सोते हैं लेकिन इनके सूंड़ एकदूसरे को छूते रहते हैं. कई बार सूंड़ को आपस में बांध लेते हैं.

दूसरी सबसे बड़ी प्रतिक्रिया है चिंघाड़ना. शोर मचाना. हाथियों का समूह मरे हुए हाथी के चारों तरफ एक सुरक्षा घेरा बनाते हैं. नजदीक रहते हैं और फिर जोर से चिल्लाना शुरु करते हैं. अगर कोई इंसान या अन्य जानवर इस बीच आता है तो उसकी खैर नहीं. उसका पीछा करते हैं. कुछ मृत हाथी को उठाकर खिसकाने का प्रयास करते हैं ताकि शव के साथ कोई जानवर या इंसान कुछ गलत न कर सके.


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