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नई दिल्ली: भारत में बिजली उत्पादन इस साल मई में 15.06 प्रतिशत बढ़कर 167.55 अरब यूनिट्स हो गया, जो कि पिछले साल समान अवधि में 145.61 अरब यूनिट्स पर था। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथोरिटी की ओर से मासिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
थर्मल पावर, जो कि कोयला और गैस आधारित प्लांट्स में बनाई जाती है। मई में इन प्लांट्स में 127.87 अरब यूनिट्स की बिजली पैदा की गई। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 14.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उत्तर भारत में हीट वेब के कारण बिजली की मांग 30 मई को 250 गीगावाट के आंकड़े को छू गई थी। मई और जून के ज्यादातर दिनों में बिजली की उच्च मांग देखने को मिली। 2024-25 में बिजली की मांग 260 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। मानसून के कारण देश में भारी बारिश होने की वजह से बिजली की मांग में नरमी देखने को मिली है। फिलहाल यह 200 गीगावाट के आसपास है।
मानसून में बांधों में पानी भर जाने के कारण हाइड्रोपावर से बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। मई में हाइड्रोपावर से 11.62 अरब यूनिट्स बिजली पैदा हुई थी। इसमें सालाना आधार पर 9.92 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला था। रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स (हाइड्रोपावर छोड़कर) की ओर से मई में 22.50 अरब यूनिट्स बिजली पैदा की गई है। इसमें सालाना आधार पर 18.34 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।
पावर मंत्रालय की ओर से सभी कोयला आधारित प्लांट्स को सितंबर तक 6 प्रतिशत आयातित कोयला अपने कोयला भंडारण में मिलाने को कहा है जिससे बिजली की मांग को पूरा किया जा सके। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, जो कि 2024-25 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार की ओर से अगले पांच वर्षों में बिजली की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नई ऊर्जा क्षमता लगाने पर जोर दिया जा रहा है।
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