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झारखंड के हजारीबाग में जब शाहिद शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई थी, तो क्षेत्र के लोगों ने कभी नहीं सोचा होगा कि यहां अंधेरे में इलाज और चेकअप किए जाएंगे. बीती रात भिखारी मेडिकल कॉलेज से एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति का चेकअप मोबाइल की टॉर्च से किया जा रहा है.
हजारीबाग के कटकमसांडी ब्लॉक के महूंगाय गांव के रहने वाले सागर कुमार यादव आकाशीय बिजली में झुलस गए. जब उन्हें शुक्रवार की देर शाम मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया तो बिजली गायब थी और आनन-फानन में ईसीजी कराने के लिए मोबाइल टॉर्च की रोशनी का इस्तेमाल किया गया.
इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि मरीज बेड पर लेटा हुआ है और आस-पास खड़े हुए लोग मोबाइल की टॉर्च का इस्तेमाल करके रोशनी बना रहे हैं, जिसमें वहां मौजूद डॉक्टर ईसीजी कर रही है.
ऐसा नहीं है भिखारी मेडिकल कॉलेज में बिजली के जाने के बाद बैकअप की व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में दो हैवी जेनरेटर लगे हैं, इनमें प्रतिदिन 100 से 150 लीटर डीजल की खपत दिखाई जाती है. इसके अलावा 50 लाख रुपये की राशइ से सोलर पैनल भी यहां लगाया गया है, इसके अलावा इनवर्टर की व्यवस्था भी की गई है. बिजली के अलावा तीन विकल्प होने के बाद भी यहां के पावर सिस्टम का ये हाल है कि मरीजों के इलाज के लिए मोबाइल की रोशनी का प्रयोग करना पड़ता है.
ऐसा नहीं है कि झारखंड के किसी अस्पताल में बिजली जाने के बाद चेकअप के लिए मोबाइल की रोशनी का इस्तेमाल किया गया हो, ऐसे मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ऐसे मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं करता, जिसकी वजह से कर्मचारी लापरवाही बरतने लगते हैं.
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