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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ठुकराया कांग्रेस पार्टी का ऑफर, अब ट्वीट कर कमियां भी बताईं
jantaserishta.com
26 April 2022 12:00 PM GMT
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नई दिल्ली: ...संदेह की आंच में काठ की मटकी पकने से पहले सुलग गई. प्रशांत किशोर कांग्रेस के दरवाजे से आते-आते लौट गए. घंटों बातें कीं. कितने ही कागज बनाए दिखाए. कितने सपने अपनी प्रस्तुतियों में उकेरे. कांग्रेस बहुत ध्यान से उनकी बातों को सुनती-बुनती रही. ऐसा लगा कि शायद कांग्रेस अब अच्छे दिन की आस को पीके के पास संजोकर आगे बढ़ेगी.
लेकिन फिर बाना बनने से पहले ताना टूट गया. पीके कांग्रेस ज्वाइन करने से पलट गए. और जाते जाते उन्होंने अपनी टीस की कील कांग्रेस के कलेजे में ठोक दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, नेतृत्व की जरूरत है. बिना नेतृत्व की पार्टी अपने कुनबे को कैसे संभालेगी और टूटी-दरकती दीवारों की मरम्मत कैसे करेगी, ये सवाल अपनी विदाई की घोषणा करते हुए पीके ने अपने ट्वीट में व्यक्त कर दिए.
प्रशांत किशोर और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले कुछ दिनों से लगातार बैठकों का दौर चल रहा था. ये चर्चा भी आम हो गई थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होंगे. मैराथन बैठकों के साथ ही प्रशांत किशोर ने सांगठनिक ढांचे में बदलाव और अन्य पहलुओं को लेकर भारी-भरकम प्रेजेंटेशन भी कांग्रेस नेतृत्व के सामने दिए थे.
लेकिन मंगलवार को रणदीप सिंह सुरजेवाला का एक ट्वीट आया और सभी अटकलों पर विराम लग गया. रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर प्रशांत किशोर की सराहना की और ये जानकारी दी कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. इसके बाद खुद प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट कर बताया कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर ठुकरा दिया है.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लीडरशिप पर भी सवाल उठाए. प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा कि मैंने एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप में शामिल होकर चुनावों की जिम्मेदारी लेने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा है कि पार्टी को मुझसे ज्यादा सामूहिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए परिवर्तनकारी सुधारों की जरूरत है.
I declined the generous offer of #congress to join the party as part of the EAG & take responsibility for the elections.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 26, 2022
In my humble opinion, more than me the party needs leadership and collective will to fix the deep rooted structural problems through transformational reforms.
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