झारखंड. जमशेदपुर शहर में 200 से ज्यादा लोग कोर्ट की चिट्ठी देख भौंचक हैं। चिट्ठी में लिखा है कि जमानत लीजिए वरना जेल की हवा खाइए। जिन्हें कोर्ट की चिट्ठी मिली है उनमें से अधिकांश बुजुर्ग हैं। पूरी चिट्ठी पढ़ी तो पता चला कि कोरोना के लॉक डाउन के दौरान उनपर केस हुआ था। उस वक्त उन्हें भनक भी नहीं लगी। मॉर्निंग वॉक करने के दौरान पुलिस एक स्कूल में ले गई और सबका आधार कार्ड देखकर छोड़ दिया। बाद में उसी आधार पर उन पर केस दर्ज कर दिया गया। अब जब वारंट जारी हुआ तो थाना और कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं।
कोरोना को लेकर घोषित लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में पकड़े गए शहर के 200 लोगों पर उनके कोर्ट में हाजिर नहीं होने की स्थिति में वारंट जारी किया गया है। इसमें अधिकांश ऐसे लोग थे, जो मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे और कार्रवाई के दौरान उन्हें पकड़कर पहले किसी स्कूल परिसर में रखा गया। उसके बाद आधार कार्ड ले लिया गया। इसके बाद उनपर केस कर दिया गया। इनमें अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं रही कि उनपर केस किया गया है।
उनके केस का प्रस्ताव अदालत में भेज दिया गया और उनके हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने उनलोगों पर वारंट जारी किया है। अब उसी वारंट के आधार पर उन्हें तलब किया जा रहा है। जिनलोगों का वारंट जारी किया गया, उन्हें जब पकड़ा गया था, तब यह बताया गया था कि एहतियातन उन्हें ले जाया जा रहा है। कोई केस नहीं होगा और उन्हें छोड़ दिया जाएगा। लेकिन अब पुलिस उनके घर तक पहुंच रही है। उनसे थाना पहुंचकर जमानत कराने को कहा जा रहा है। ऐसे में आमलोग ज्यादा परेशान हैं। उनके केस के अनुसंधानकर्ता द्वारा जमानत लेने की बात की जा रही है और ऐसे में उनलोगों को थाना का चक्कर लगाया जा रहा है।
कोर्ट से जमानत लेने के लिए इसमें एक जमानतदार की जरूरत होती है। उस जमानतदार के साथ थाना स्तर पर ही जमानत दी जानी है। उसके बाद उस जमानत पत्र को पुलिस द्वारा कोर्ट में भेज दिया जाएगा और अदालत में जाकर जिस व्यक्ति ने जमानत ली है उस प्रपत्र को पेश कर अदालत से थाना से मिले जमानत की स्थासी स्वीकृति ले ली जाएगी। लॉकडाउन के दौरान करीब 4000 लोगों पर केस किया गया था। इनमें से ज्यादातर वैसे लोग थे, जो बिना मास्क के थे और नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।