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इजराइल और हमास के बीच जंग का असर, मिलों का 90% चावल होता है विदेश में एक्सपोर्ट

Nilmani Pal
6 March 2024 5:50 AM GMT
इजराइल और हमास के बीच जंग का असर, मिलों का 90% चावल होता है विदेश में एक्सपोर्ट
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रायसेन। रायसेन जिले को प्रदेश में बड़े धान उत्पादक के रूप में जाना जाता है उत्पादक के रूप में जाना जाता है धान के अधिक उत्पादन से क्षेत्र में राइस मिलों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है इतना ही नहीं रायसेन जिले में धान की क्वालिटी अच्छी होने से यहां तैयार होने से यहां के चावल मिलर प्लान्ट से तैयार होने वाला चावल भी बेहतर क्वालिटी का होता है।इसलिए 90% चावल विदेश में एक्सपोर्ट होता है लेकिन 7 अक्टूबर 20 23 से शुरू हुआ इजराइल -हमास युद्ध में रायसेन जिले के रायसेन की हालत बिगड़ के रख दी है। ऐसा इसलिए कि इस युद्ध के चलते यमन के हूती विद्रोही लाल सागर से निकलने वाले जहाज का कहीं अपहरण कर रहे हैं तो कहीं उन पर हमला कर रहे हैं ।इसके चलते एक्सपोर्ट रुक गया है।कांडला, मुद्रा पोर्ट सहित दूसरे बंदरगाहों पर चावल भरा पड़ा है लेकिन एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है ।इसके चलते चावल पहले ₹8000 क्विंटल बिकता था ।उसका रेट ₹1500 गिर कर ₹6500 आ गया है ।इतना ही नहीं चावल का एक्सपोर्ट ना होने से लेकर गया है इसके चलते कहीं राइस मिल बंद कर दिए गए तो कहीं कम क्षमता से काम किया जा रहा है।

रायसेन जिले में इस बार धान की आवक के शुरुआती सीजन में धान के दाम प्रति क्विंटल पहुंच गए थे।लेकिन विदेशों में चावल का एक्सपोर्ट कम होने से धान की डिमांड में कमी आई है।इसका असर यह हुआ कि धान के दाम में निश्चित रूप से गिरावट आई है।इन दिनों धान के औसत दाम 3हजार से 3600 रुपये तक ही चल रहे हैं।इस तरह से धान के दामों में गिरावट काफी ज्यादा आई है।इसके चलते किसानों को भी धान के दाम कम मिलने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।अनाज तिलहन संघ के अध्यक्ष कन्हैया मुन्ना लाल सोनी, युवा अनाज व्यापारी मनोज सोनी, मनोज राठौर ने बताया कि चावल एक्सपोर्ट रुकने से धान के दामों में भी ₹15 प्रति कुंतल की कमी आई है इसके चलते जिले भर में आवेदन किसान धान के कम दाम मिलने से सड़कों पर चक्काजाम करके विरोध प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं।

चावल का एक्सपोर्ट रुकना जिले के किसानों के लिए काफी चिंता का विषय है। रायसेन जिले में खरीफ की मुख्य फसल धान है ।धान के उत्पादन में रायसेन जिले का नाम प्रदेश के मुख्य जिलों में शामिल है ।यहां से 280000 रेलवे में धान का उत्पादन किया जाता है ।धान की खेती से जिले के लाखों किसान जुड़े हुए हैं ।उन्हें इस बार प्रति क्विंटल बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है ।जबकि पिछले साल धान का धान के दाम ₹5200 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था।

25000 टन चावल डंप, इसलिए कम क्षमता से चला रहे प्लांट

शहर के सागर रोड स्थित स राइस मिल के संचालक और शेर के बड़े अनाज कारोबारी मिथिलेश सोनी बताते हैं कि बीते दो महीने से चावल बाजार में काफी मंदी चल रही है ऐसा लाल सागर में हूती विद्रोहियों द्वारा किए जाने वाले हम लोग और जहाज के अपहरण के कारण हो रहा है भारत के बंदरगाहों पर माल भरा पड़ा है जो एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है इसका असर यह हुआ कि हमारे पास ही 25000 कुंतल से ज्यादा चावल डंप है इसी तरह की स्थिति जिले के दूसरे राज्य प्लांट की है कुछ प्लांट पर तो उत्पादन ही बंद कर दिया गया है हमने भी दो में से एक यूनिट बंद कर रखी है बीमा कंपनी माल का भी बीमा भी नहीं कर रही है कार्रवाई के राइस मिल मैनेजर अनिल कुमार का कहना है कि चावलों का निर्यात करने से उनको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।इसी तरह उदयपुरा के सूरज पाटीदार का कहना है कि चावल बिक्री के कारोबार भी काफी मंदी के दौर से गुजर रहा है।जिससे बजट में निश्चित तौर पर कमी आई है।इस का कारण इजरायल और हमास के बीच जंग की लंबी लड़ाई छिड़ना बताया जा रहा है।

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