बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का असर, एकजुट ग्रामीणों ने रुकवाया बाल विवाह
बिहार. बिहार के पूर्णिया जिले के मरंगा थाने के एक गांव में सतर्क ग्रामीणों द्वारा समय पर दी गई सूचना के नतीजे में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) की टीम, पुलिस और चाइल्ड लाइन ने मौके पर पहुंच कर तेरह साल की बच्ची का विवाह रुकवाया। ग्रामीणों ने खुद केएससीएफ, पुलिस और चाइल्ड लाइन को फोन कर इस बाबत जानकारी दी। केएससीएफ टीम के प्रयासों से देर रात बच्ची को बालिका गृह में आश्रय दिलाया गया।
ग्रामीणों को पता चला कि उनके गांव की एक नाबालिग की उत्तर प्रदेश के 17 साल के एक लड़के से शादी हो रही है तो उन्होंने एकजुट होकर इसका विरोध किया और केएससीएफ की पूर्णिया टीम और पुलिस के अलावा चाइल्ड लाइन पर भी इसकी सूचना दी। केएससीएफ की टीम सूचना मिलते ही देर रात मौके पर पहुंची और विवाह की रस्मों को रुकवाया। मरंगा थाने का यह गांव उन दस हजार गांवों में शामिल था जहां बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बाल विवाह के खिलाफ ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ चलाया था। देश के सबसे बड़े जागरूकता अभियानों में से एक इस अभियान में देश के 26 राज्यों के 500 से अधिक जिलों के करीब दस हजार गांवों में 70 हजार से अधिक महिलाओं और बच्चों की अगुआई में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर दीए जलाए गए और केंडल मार्च निकाले गए। इस अभियान के दौरान दो करोड़ से अधिक लोगों ने बाल विवाह को खत्म करने की शपथ ली थी।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के प्रवक्ता बिधान चंद्र सिंह ने कहा कि हमने गांवों में बड़ी संख्या में महिला नेतृत्वकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है जो बाल विवाह की बीमारी के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध हैं। आखिरकार अब जाकर एक बदलाव होता देख रहे हैं। पहले ग्रामीण बाल विवाह पर अड़ जाते थे और अक्सर गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते थे। लेकिन अब परिवर्तन आ रहा है और इसका सबूत है कि ग्रामीणों ने खुद सूचना देकर यह बाल विवाह रुकवाया।