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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शिकंजा कसते हुए एम3एम के प्रमोटर बसंत बंसल को गिरफ्तार किया है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में शामिल 400 करोड़ रुपये से अधिक के एम3एम ग्रुप और आईआरईओ ग्रुप द्वारा फंड डायवर्जन और हेराफेरी के आरोपों की जांच कर रहा है।
बसंत बंसल ने पहले पंकज बंसल की दिल्ली हाई कोर्ट से 5 जुलाई तक की गिरफ्तारी का अंतरिम संरक्षण प्राप्त किया था। कोर्ट ने कहा कि अगर बसंत बंसल को गिरफ्तार किया जाता है तो विशिष्ट शर्तों के तहत और 10 लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दी जाएगी।
ईडी की जांच के संबंध में बसंत बंसल और पंकज बंसल द्वारा दायर अलग-अलग अग्रिम जमानत याचिकाओं के जवाब में ये आदेश जारी किए गए थे। ईडी के मुताबिक, एम3एम ग्रुप के मालिक, कंट्रोलर और प्रमोटर- बसंत बंसल, रूप कुमार बंसल, पंकज बंसल- और अन्य प्रमुख व्यक्ति जानबूझकर जांच से बचते रहे हैं। ईडी ने कहा निवेशकों और ग्राहकों के फंड को डायवर्ट और हेराफेरी करने के लिए उनके खिलाफ दायर की गई कई एफआईआर के आधार पर जांच चल रही है।
ईडी ने खुलासा किया है कि एक लेनदेन में एम3एम समूह ने कई शेल कंपनियों के माध्यम से आईआरईओ समूह से लगभग 400 करोड़ रुपये प्राप्त किए है। ईडी ने आगे बताया कि भूमि का स्वामित्व एम3एम समूह के पास था, जिसका बाजार मूल्य लगभग 4 करोड़ रुपये था। शुरूआत में एम3एम ग्रुप ने 10 करोड़ रुपये के भुगतान पर पांच शेल कंपनियों को जमीन के विकास अधिकार बेचे हैं। ईडी ने कहा कि यह दावा किया गया था कि ये पांच कंपनियां असंबद्ध संस्थाएं थीं। हालांकि, जांच से पता चला कि पांच मुखौटा कंपनियां एम3एम समूह द्वारा संचालित की गई थीं। इसके बाद, इन कंपनियों ने तुरंत उसी जमीन के विकास अधिकार लगभग 400 करोड़ रुपये में आईआरईओ समूह को बेच दिए।
ईडी ने यह भी कहा कि सभी शेल कंपनियों का स्वामित्व और संचालन एम3एम ग्रुप द्वारा इसके प्रमोटरों, बसंत बंसल, रूप कुमार बंसल और उनके परिवार के सदस्यों के निर्देशन में किया गया था। इस तरह कंपनी ने 400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की, जो निवेशकों और ग्राहकों के थे। ईडी ने कहा कि सभी प्रकार के लेनदेन को पूरा करने में बंसल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ईडी ने बताया कि एम3एम समूह जांच से बचने के लिए ईडी द्वारा जारी समन का जवाब नहीं दे रहे थे।
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