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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को महाराष्ट्र में वक्फ संपत्तियों की कथित अवैध बिक्री से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सिलसिले में कई स्थानों पर छापेमारी की
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को महाराष्ट्र में वक्फ संपत्तियों की कथित अवैध बिक्री से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सिलसिले में कई स्थानों पर छापेमारी की। ईडी ने कहा कि पूरे राज्य में कम से कम सात परिसरों में छापेमारी की गई है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की जा रही है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे के दो कार्यकर्ताओं (72 वर्षीय मुश्ताक अहमद शेख और 64 वर्षीय मुनव्वर खान) ने को बताया कि उन्हें पहली बार घोटाले की भनक तब लगी जब उन्होंने पुणे जिले की मुलशी तहसील के मान गांव में राजीव गांधी आईटी पार्क में वक्फ बोर्ड की छह हेक्टेयर भूमि को देखा। दोनों कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस जमीन को राज्य सरकार ने आईटी पार्क के लिए अवैध रूप से अधिग्रहित किया था।
उन्होंने कहा कि "उसी जमीन को 2009 में महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड द्वारा कार्यवाहक के रूप में ताबूत इनाम एंडोमेंट ट्रस्टी को सौंप दिया गया था और इस संबंध में एक प्रमाण पत्र भी वक्फ बोर्ड द्वारा इस ट्रस्ट को दिया गया था। इस प्रमाण पत्र का मतलब था कि ताबूत एंडोमेंट ट्रस्ट सिर्फ एक कार्यवाहक है और उसे इस भूमि को बेचने या राज्य सरकार से किसी भी राशि का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।"
मुश्ताक शेख ने कहा कि उन्हें पता चला है कि 8 दिसंबर, 2020 को इम्तियाज मोहम्मद हुसैन शेख और चांद रमजान मुलानी सहित ताबूत इनाम एंडोमेंट ट्रस्ट के चार ट्रस्टियों ने जीव गांधी आईटी पार्क में स्थित पांच हेक्टेयर और 51 गुंठा भूमि अधिग्रहण के लिए पुणे कलेक्टर नंबर 13 के समक्ष आवेदन किया और उक्त भूमि सर्वेक्षण संख्या 335 के लिए राशि की मांग की।"
मुश्ताक और मुन्नावर के अनुसार, ताबूत एंडोमेंट ट्रस्ट ने इस साल 22 जनवरी को वक्फ बोर्ड के सहायक सीईओ फारुख पठान के हस्ताक्षर के साथ उन्हें जारी एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इस प्रमाण पत्र में कहा गया है कि ट्रस्ट उक्त भूमि का अधिकृत दावेदार है। उन्होंने कहा, "सबूतों से संतुष्ट, भूमि अधिग्रहण अधिकारी संख्या 13, पुणे में कलेक्ट्रेट कार्यालय ने 7, 76,98,250 रुपये की राशि जारी की। इस भूमि का कुल सरकारी मूल्य 9,64,42,500 रुपये है। उपरोक्त राशि 7,76,98, 250 रुपये एक्सिस बैंक में इम्तियाज नूर मोहम्मद हुसैन शेख के निजी खाते में डिमांड ड्राफ्ट के जरिए जमा किए गए।''
पहले की वक्फ बोर्ड से शिकायत, फिर ED को
वक्फ बोर्ड की जमीन की फर्जी बिक्री को समझने के बाद, मुश्ताक अहमद और मुनव्वर खान ने 21 सितंबर को लिखित शिकायत में वक्फ बोर्ड को सूचित किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने उसी तारीख को ईमेल के माध्यम से महाराष्ट्र अल्पसंख्यक मंत्रालय को भी शिकायत भेजी थी। चूंकि उन्हें राज्य के अल्पसंख्यक मंत्रालय और वक्फ बोर्ड से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और कोई कार्रवाई नहीं हुई, मुश्ताक अहमद और मुनव्वर खान ने कहा कि उन्होंने 3 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय के साथ एक लिखित शिकायत दर्ज की। 4 नवंबर को दोनों कार्यकर्ताओं को ईडी ने मामले पर चर्चा के लिए बुलाया और चार घंटे तक बैठक चली।
कार्यकर्ताओं की जोड़ी ने कहा कि महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक को वक्फ संपत्तियों की कथित अवैध बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी या फिर उन्हें नैतिक आधार पर पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
वक्फ संपत्तियों की बिक्री को लेकर ईडी के छापे पर नवाब मलिक ने क्या कहा?
गुरुवार को नवाब मलिक ने ईडी पर कटाक्ष किया और कहा कि वक्फ बोर्ड के तहत 30,000 संस्थाओं की जांच का स्वागत है। नवाब मलिक ने कहा कि ईडी की किसी भी मामले की जांच का स्वागत है, लेकिन ऐसा लगता है कि उसकी मौजूदा कार्रवाई का पूरा उद्देश्य उनकी छवि खराब करना है।
मलिक ने कहा, "अगर ईडी को लगता है कि इस तरह की कार्रवाई मुझे डराएगी, तो यह उनकी गलत धारणा है। इस तरह के कृत्यों से मुझे अपना सफाई अभियान जारी रखने में कोई बाधा नहीं आएगी, जिसके तहत केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जाता है।"
नवाब मलिक ने कहा कि जब से उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में पदभार संभाला है, वक्फ बोर्ड एक पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ अपनी पूरी ताकत से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड ने कथित अनियमितताओं की जांच का जिम्मा संभालने के बाद से सात प्राथमिकी भी दर्ज की हैं। नवाब मलिक ने कहा, "हमने वक्फ बोर्ड में सफाई अभियान शुरू किया है, जिसके तहत बोर्ड के पूर्व सदस्यों और कुछ अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।"
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