बैंक धोखाधड़ी मामले में ED की छापेमारी, 24 करोड़ के सोने और हीरे जब्त
ईडी ने कहा कि उसने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कदाचार के अपराधों के लिए आरोपी कंपनियों और उनके प्रमोटरों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज तीन प्राथमिकियों के आधार पर पीएमएलए जांच शुरू की। बैंकों के अनुसार, आरोपियों ने जानबूझकर भारतीय स्टेट बैंक से लिए गए ऋण का किस्त नहीं चुकाया। इससे एसबीआई को 352.49 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) का नुकसान हुआ। ईडी ने कहा कि आरोपी कंपनियों के प्रमोटरों ने मिलीभगत की और फर्जी लेनदेन में लगे रहे और आरोपी कंपनियों और उनकी संबंधित संस्थाओं के अकाउंट की गलत बही बनाईं, जिससे महत्वपूर्ण विसंगतियां हुईं।
ईडी ने कहा, “खातों की किताबों में मुख्य होल्डिंग कंपनी राजमल लखीचंद जलगांव का साझेदारी फर्म के साथ फर्जी बिक्री खरीद लेनदेन दिखाया गया है। व्यापार में पर्याप्त मात्रा में आभूषण गायब पाये गये। कुल 1,284 किलोग्राम से अधिक आभूषणों के घोषित स्टॉक के बावजूद ईडी केवल 40 किलोग्राम का ही पता लगा सका। इस प्रकार, इस घोषित स्टॉक के बदले लिए गए ऋण को गैर-मौजूद गहनों की फर्जी खरीद के जरिए निकाल लिया गया।''
ईडी ने कहा कि दूसरी विसंगति यह थी कि “प्रवर्तक तीन आरोपी कंपनियों - राजमल लखीचंद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड, आरएल गोल्ड प्रा. लिमिटेड और मनराज ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड वास्तव में ऋण के वास्तविक उपयोग को साबित करने के लिए कोई भी सहायक दस्तावेज पेश करने में विफल रहे। उन्होंने वित्त वर्ष 2003-2014 (ऋण संवितरण अवधि) की अवधि के लिए जानबूझकर किसी भी अकाउंट की बही, स्टॉक रजिस्टर, चालान या सहायक दस्तावेज संभालकर नहीं रखने की बात स्वीकार की। ईडी ने कहा, “वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आरोपी कंपनियों के खातों की पुस्तकों के विश्लेषण से यह भी पता चला कि 17 अगस्त 2023 तक आरोपी कंपनियों में स्टॉक को एसबीआई में बंधक होने के बावजूद शून्य पर लाया गया था। नए ऋणों के लिए धोखाधड़ी से आवेदन करने के लिए डमी निदेशकों के रूप में रिश्तेदारों के साथ फर्जी संस्थाएं बनाई गईं। राजमल लखीचंद समूह के संबंधित पक्षों को शामिल करते हुए फर्जी बिक्री-खरीद लेनदेन के एक जटिल जाल के माध्यम से ऋण दिए गए, और अंततः प्रमोटरों द्वारा धन को अचल संपत्तियों में निवेश किया गया। आरएल एंटरप्राइजेज नामक एक नया आभूषण व्यवसाय स्थापित किया गया था, और रियल एस्टेट क्षेत्र, कार डीलरशिप और एक अस्पताल की स्थापना में निवेश किया गया था।”
ईडी ने यह भी बताया कि मोबाइल फोन से संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो मनीष जैन द्वारा नियंत्रित एक रियल एस्टेट कंपनी में लक्जमबर्ग स्थित इकाई से पांच करोड़ यूरो के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रस्ताव का संकेत देते हैं। तलाशी के दौरान राजमल लखीचंद समूह से संबंधित 60 संपत्तियों का विवरण एकत्र किया गया, जिनकी कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक है। साथ ही जामनेर, जलगांव और आसपास के क्षेत्रों में राजमल लखीचंद मनीष जैन के स्वामित्व वाली दो बेनामी संपत्तियों का विवरण भी एकत्र किया गया। ईडी ने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है.