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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीनी फोन निर्माता वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में लावा इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, एक चीनी नागरिक और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस बात की जानकारी जांच एजेंसी के अधिकारियों ने मंगलवार को दी। बता दें लावा इंटरनेशनल के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हरिओम राय पर वीवो की सहायता करने का आरोप है। हरिओम राय के अलावा गिरफ्तार होने वालों की पहचान गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, राजन मलिक और नितिन गर्ग के रूप में की गई है। गुआंगवेन क्यांग एक चीनी नागरिक है जिसने कथित तौर पर वीवो की मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं नितिन गर्ग चार्टर्ड अकाउंटेंट है जो वीवो के लिए काम करता था। इसके अलावा राजन मलिक लावा का ऑडिटर है। ईडी का कहना है कि वीवो ने अवैध रूप से 1 लाख करोड़ रुपये भारत से बाहर भेजे। साल 2022 में शुरू हुई विवो के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संघीय एजेंसी की जांच से पता चला है कि चीनी फोन निर्माता ने 2014 में भारत में प्रवेश के बाद, विभिन्न शहरों में 19 और कंपनियों को शामिल किया था। इन कंपनियों में चीनी नागरिक उनके निदेशक और शेयरधारक थे और भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी सप्लाई चेन को नियंत्रित करते थे। 2014-15 की एफडीआई नीति में सरकारी मार्ग के तहत सिंगल ब्रांड रिलेट सेक्टर में 100% विदेशी निवेश की अनुमति थी, लेकिन होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस के लिए ऑटोमेटिक रूट से 100% एफडीआई की अनुमति थी, जिसके लिए किसी सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं थी। ईडी का कहना है कि "सरकारी मंजूरी लेने से बचने के लिए चीनी कंपनी वीवो ने एक योजना तैयार की जिसके तहत वे अपने वास्तविक स्वामित्व, नियंत्रण और गतिविधियों की प्रकृति को भारतीयों से छिपाने के लिए आपराधिक साजिश के तहत होलसेल कैश और कैरी बिजनेस की आड़ में भारत में प्रवेश किया और ऑटोमेटिक रूट के माध्यम से भारत में प्रवेश किया।"
एजेंसी ने पिछले साल जुलाई में वीवो के दफ्तरों और सहयोगी कंपनियों पर छापेमारी की थी। उस समय यह आरोप लगाया गया था कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो ने अवैध रूप से चीन को 62,476 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे। वीवो के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "वीवो दृढ़ता से अपने नैतिक सिद्धांतों का पालन करता है और कानूनी अनुपालन के लिए समर्पित है। हालिया गिरफ्तारी से हमें गहरी चिंता है। हम सभी उपलब्ध कानूनी विकल्पों का प्रयोग करेंगे।" मंगलवार को ईडी ने खुलासा किया कि चीनी कंपनी वीवो ने अपनी स्थापना के बाद से भारत से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम अपने द्वारा किराए पर ली गई कुछ "ट्रेडिंग कंपनियों" को भेजी है, ताकि इन भारतीय कंपनियों पर वीवो का नियंत्रण न हो सके। ईडी ने मंगलवार को अदालत में हिरासत की मांग करते हुए कहा, "लीगल फाइलिंग में 2014-15 से 2019-20 तक कोई लाभ नहीं दिखाया गया था और भारत में कोई आयकर का भुगतान नहीं किया गया था, फिर भी बड़ी रकम भारत से बाहर निकाली गई।" ऐसा पता चला है कि वीवो कंपनियों का नेटवर्क विभिन्न चीनी मैसेंजर जैसे वी-चैट, डिंग टॉक, वी-चैट आदि के माध्यम से संचार करता था और भारत में काम करने के बावजूद उनका डेटा यहां नहीं बल्कि चीन के सर्वर पर रखा जाता था। हरिओम राय की भूमिका के बारे में ईडी ने कहा है कि लावा इंटरनेशनल की ओर से 2013-14 और 2014-15 में सीईओ शेन वेई समेत वीवो के कर्मचारियों को बिजनेस वीजा के लिए निमंत्रण पत्र दिए गए थे। इसमें कहा गया है कि राय ने मालिक के साथ मिलकर पूरे देश में चीनी नियंत्रित नेटवर्क स्थापित करने के लिए भारत सरकार को धोखा दिया। इसके अलावा ईडी का कहना है, राय ने वीवो से जुड़े चीनी नागरिकों को उनकी सुरक्षा जमा के लिए धन की व्यवस्था करके और ऑफिस और घर की व्यवस्था करने के साथ-साथ भारत भर में उनकी स्थापना में मदद की। ईडी ने कहा, "जांच के दौरान यह पता चला है कि विभिन्न चीनी नागरिक भारतीय वीजा शर्तों का घोर उल्लंघन करके जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संवेदनशील स्थानों सहित पूरे भारत में यात्रा कर रहे हैं।"
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Shantanu Roy
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