दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ईडी भी कानून से बंधा हुआ है। आम नागरिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर सकता है। कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 50 के तहत निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के बयान दर्ज करने के लिए जांच एजेंसी को फटकार लगाई। ईडी ने एक आरोपी की अंतरिम जमानत के विस्तार का विरोध किया था।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोग्ने ने कहा कि ईडी के लिए आम नागरिकों के खिलाफ पीएमएलए की धारा 50 के तहत कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में नागरिकों के पास अधिकार हैं। जज ने कहा, “एक सरकारी एजेंसी से नागरिक अधिकारों का समर्थक होने की उम्मीद की जाती है। अगर ऐसा नहीं करती है तो अदालत निश्चित रूप से ईडी के पूरी तरह से मनमाने कृत्य को उजागर करने में पीछे नहीं रहेगी।”
कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि एक कि मजबूत नेता, कानून और एजेंसियां आम तौर पर उन्हीं नागरिकों को परेशान करती है जिनकी वे रक्षा करने की कसम खाते हैं। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अधिकार ईडी को मिली कानूनी ताकतों से पूरी तरह से ऊपर हैं।