भारत

श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला में तैयार हो रहीं इको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियां

Shantanu Roy
15 Sep 2023 1:35 PM GMT
श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला में तैयार हो रहीं इको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियां
x
रतलाम। गणेशोत्सव के नजदीक आते ही जगह-जगह गणेश प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है। दुकाने सजने लगी है। कई सामाजिक संस्थाएं भी गणेश प्रतिमाएं बनाकर लोगों को नि:शुल्क वितरित करने की योजना बना रही है। इसी क्रम में मांगल्य मंदिर स्थित श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला द्वारा बेहद ही सुंदर इको फ्रेंडली गणेशजी की मूर्तियां तैयार की जा रही है। इको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमाओं का सबसे बड़ा लाभ यह है कि दस दिवसीय गणेशोत्सव में पूजन के पश्चात अनंत चतुर्दशी पर भक्त अपने हाथों से ही इनका घर में ही गमलों में भी विसर्जन किया जा सकेगा। इससे जैविक खाद के रूप में भी पौधों को पोषण देने में यह सहायक होगी।
विशुद्ध से रूप गोबर से तैयार
श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला के संचालक पं.सुदामा मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म में देशी गाय के गोबर को अत्यंत पवित्र एवं शुभ मना गया है। शास्त्र में भी आता है ‘गोमये वसते लक्ष्मी’ अर्थात गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है। स्वच्छ भारत के तहत गौशाला द्वारा पिछले कई वर्षो से गौशाला परिवार द्वारा गोबर निर्मित गणेशजी की मूर्ति बनाई जा रही है। इस वर्ष भी मंगलमूर्ति श्री गणेश जी की बेहद ही सुंदर सुंदर प्रतिमाएं निर्मित की गई है। छोटे आकार की एक प्रतिमा को तैयार करने में दो से तीन दिन जबकि बड़े आकार की मूर्ति को अंतिम रूप देने में एक सप्ताह तक का समय लगता है। चूँकि गौशाला में ही गौमाता का प्रचुर मात्रा में गोबर उपलब्ध होता है, इसलिए विशुद्ध से रूप गोबर से ही मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है।
जैविक खाद के रूप में भी उपयोगी
उन्होंने बताया कि विभिन्न आकार में निर्मित इन गणेश जी प्रतिमाओं की मांग रतलाम ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रान्तों में भी है। उन्होंने बताया कि बाजार में उपलब्ध पी.ओ.पी से निर्मित मूर्तियाँ जंहा विसर्जन के बाद प्रदूषण फैलाती है, वहीं यह भी देखने में आता है कि इनका थोकबंद विसर्जन जिस तरह से किया जाता है, उससे भक्तों की धार्मिक भावनाएं भी आहात होती है। इसी परेशानी को देखते हुए वहीं गोबर निर्मित मूर्तियां पर्यावरण सहायक (इको फ्रेंडली) है। पूजन के बाद इस मूर्ति को घर में रखे गमलों में भी विसर्जन कर सकते हैं। इससे जैविक खाद के रूप में भी पौधों को पोषण देने में सहायक है।
Tagsएमपी न्यूज हिंदीमध्यप्रदेश न्यूजमध्यप्रदेश की खबरमध्यप्रदेश लेटेस्ट न्यूजमध्यप्रदेश क्राइममध्यप्रदेश न्यूज अपडेटमध्यप्रदेश हिंदी न्यूज टुडेमध्यप्रदेश हिंदीन्यूज हिंदीन्यूज मध्यप्रदेशमध्यप्रदेश हिंदी खबरमध्यप्रदेश समाचार लाइवmp news hindimadhya pradesh newsmadhya pradesh ki khabarmadhya pradesh latest newsmadhya pradesh crimemadhya pradesh news updatemadhya pradesh hindi news todaymadhya pradesh hindinews hindinews madhya pradeshmadhya pradesh hindi newsmadhya pradesh news liveदिन की बड़ी ख़बरअपराध खबरजनता से रिश्ता खबरदेशभर की बड़ी खबरताज़ा समाचारआज की बड़ी खबरआज की महत्वपूर्ण खबरहिंदी खबरजनता से रिश्ताबड़ी खबरदेश-दुनिया की खबरराज्यवार खबरहिंदी समाचारआज का समाचारबड़ा समाचारनया समाचारदैनिक समाचारब्रेकिंग न्यूजBig news of the daycrime newspublic relation newscountrywide big newslatest newstoday's big newstoday's important newsHindi newsrelationship with publicbig newscountry-world newsstate wise newshindi newstoday's newsnew newsdaily newsbreaking news
Shantanu Roy

Shantanu Roy

    Next Story