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कश्मीर: जम्मू कश्मीर में बुधवार को एक बार भूकंप आया। इस बार रिक्टर पैमाने पर 4.4 तीव्रता रही। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, प्रदेश के हेनली में भूकंप का झटका महसूस किया गया है। फिलहाल, इसे किसी तरह के नुकसान होने की खबर नहीं है।
इससे पहले 23 अगस्त, मंगलवार से 27 अगस्त, शनिवार के बीच जम्मू संभाग के डोडा, किश्तवाड़, कटरा (रियासी) और उधमपुर जिलों में हल्की तीव्रता वाले कुल 13 भूकंप आ चुके हैं। इनमें अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
जम्मू संभाग में लगातार डोल रही धरती खतरे का संकेत दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार टेक्टॉनिक प्लेट पर चंबा, किश्तवाड़, उधमपुर और कटड़ा टिका है, जिसमें दबाव बढ़ने से भूकंप के झटके बढ़े हैं। ये क्षेत्र लंबे समय से और हाल के दिनों में टेक्टॅनिक रूप से अधिक सक्रिय हुए हैं।
किश्तवाड़ में 2013 में आया था 5.7 की तीव्रता वाला भूकंप
किश्तवाड़ के जंगलवार इलाके में वर्ष 2013 में 5.7 की तीव्रता वाला भूकंप आ चुका है। इसी तरह वर्ष 1962 में 6.2 और 1951 में 6.4 की तीव्रता वाला भूकंप चंबा में आया था, जिसका सीधा असर जम्मू कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों पर दिखा था। जम्मू विश्वविद्यालय में ज्योलाजी विभाग के प्रोफेसर जीएम भट्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर सिस्मिक जोन 4 और 5 की श्रेणी में आता है। यहां 8 या इससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते हैं, जबकि निर्माण कार्यों में भूकंप रोधी पहलू पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
धरती के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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