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मानसून में देरी के कारण भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सफाई देते हुए कहा कि भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल

Renuka Sahu
5 July 2021 3:15 AM GMT
मानसून में देरी के कारण भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सफाई देते हुए कहा कि भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल
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मॉनसून के अभी भी शहर और उसके आसपास के इलाकों से दूर होने के कारण, भारतीय मौसम विभाग (IMD) के पूर्वानुमान आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मॉनसून के अभी भी शहर और उसके आसपास के इलाकों से दूर होने के कारण, भारतीय मौसम विभाग (IMD) के पूर्वानुमान आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं. इसे लेकर आईएमडी में मौसम विज्ञान के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि दुनिया में किसी भी पूर्वानुमान मॉडल में सर्वश्रेष्ठ तकनीक के साथ भी 100 प्रतिशत सटीकता नहीं होती.

महापात्र ने तर्क दिया कि मानसून की "अप्रत्याशित" प्रकृति केवल 55-60 प्रतिशत सटीकता बता सकती है, यहां तक ​​​​कि सर्वोत्तम तकनीक और पूर्वानुमान मॉडल के साथ भी इसे सटीक नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा उनका लक्ष्य ऐसी तकनीक का होना है जो 100 प्रतिशत सटीकता के साथ मौसम की घटना का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हो. हालांकि, वह दिन अभी दूर हैं. तब तक, हमें मानवीय अनुभव और डेटा की समझ की आवश्यकता है.
'एक जुलाई को किए गए पूर्वानुमान अब तक ट्रैक पर'
मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मॉनसून के काफी धीमा होने और जुलाई के दूसरे सप्ताह के मध्य तक आने के संबंध में 1 जुलाई को किए गए हमारे पूर्वानुमान अब तक ट्रैक पर हैं. हालांकि, कुछ मामलों में लंबी अवधि के पूर्वानुमान भी सही नहीं हो सकते हैं. यह भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल है कि 15 दिनों से अधिक की अवधि में मॉनसून कैसे आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि 24 घंटे की अवधि में पूर्वानुमान सटीकता 80 प्रतिशत से अधिक और पांच दिनों की अवधि में 60 प्रतिशत से अधिक होती है.
एक अधिकारी ने कहा मशीनरी, मॉडल, ह्यूमन स्किल और अनुभव का एक संयोजन प्रत्येक दिन उपयोग किया जाता है. 24 घंटे का पूर्वानुमान कभी-कभी मौसम में अचानक बदलाव को पकड़ने में असमर्थ होता है, जो कुछ ही घंटों में हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए, हमारा नाउकास्ट फीचर, जो हर तीन घंटे के लिए पूर्वानुमान देता है, सबसे सटीक है.
'पूर्वानुमान लगाना हमेशा नहीं होता आसान'
मानसून और देर से गर्मियों के दौरान मौसम विशेष रूप से अस्थिर होता है. उच्च तापमान के कारण कम दबाव है. जैसे-जैसे मानसून करीब आता है हवा में नमी की मात्रा अधिक होती है और एक चक्रवाती संचलन के कारण कुछ ही घंटों में बादल बन सकते हैं और बारिश हो सकती है. यह पूर्वानुमान लगाना हमेशा आसान नहीं होता है.
एक वैज्ञानिक ने कहा कभी-कभी पूरे शहर में केवल एक छोटे से हिस्से में ही वर्षा होती है. हालांकि इसका मतलब है कि पूर्वानुमान सटीक था, ऐसा लग सकता है कि बारिश नहीं हुई थी और इसलिए पूर्वानुमान सही नहीं था. उन्होंने कहा यह एक मोटा अनुमान देता है कि अगर बारिश की भविष्यवाणी की जाती है, तो यह हमेशा नहीं हो सकती है और यह संभावना की श्रेणी पर निर्भर करेगी कि इसे किस श्रेणी में रखा गया है.
'जुलाई की शुरुआत में भी देखे हैं हीटवेव के दिन'
लाइव वेदर ऑफ इंडिया' चलाने वाले मौसम विज्ञानी नवदीप दहिया ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने पिछले एक दशक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे मौसम के मिजाज को और अधिक अप्रत्याशित बना दिया गया है, बावजूद इसके कि बेहतरीन तकनीकें मौजूद हैं. इस गर्मी में जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में हीटवेव के दिन देखे गए हैं, जो असामान्य है.


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