कुल्लू। जिला कुल्लू की सैंज घाटी के तहत ग्राम पंचायत गड़ापारली के सबसे दुर्गम गांव मरोड़ से एक महिला को बीमार होने पर कड़ी कठिनाइयों के साथ कुर्सी से सहारे उपचार के लिए लाया गया। 22 किलोमीटर का पैदल सफर कर महिला को कुर्सी पर उठाकर सडक़ तक पहुंचाया। वहीं शाकटी मरोड़ का रास्ता जुलाई, …
कुल्लू। जिला कुल्लू की सैंज घाटी के तहत ग्राम पंचायत गड़ापारली के सबसे दुर्गम गांव मरोड़ से एक महिला को बीमार होने पर कड़ी कठिनाइयों के साथ कुर्सी से सहारे उपचार के लिए लाया गया। 22 किलोमीटर का पैदल सफर कर महिला को कुर्सी पर उठाकर सडक़ तक पहुंचाया। वहीं शाकटी मरोड़ का रास्ता जुलाई, 2023 में आई भयंकर बाढ़ के कारण काफी जोखिम भरा हो गया है। इन दुर्गम गांव के लोगों को बीमार होने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पंचायत के गांव शाकटी, मरोड़, शुगाड़ सडक़ सुविधा से कोसों दूर हैं। वहीं अब भयंकर बाढ़ ने यहां के लोगों की समस्या को बढ़ा दिया है। मरीजों को जान जोखिम में डालकर कुर्सी और चारपाई के सहारे लाना पड़ता है। वहीं रविवार को गाड़ापारली पंचायत के मरोड़ गांव की 65 वर्षीय शइरी देवी अचानक बीमार हो गई।
22 किलोमीटर पैदल चलकर मरोड़ गांव से इस महिला को कुर्सी पर उठाकर निहारनी तक लाया गया। वार्ड पंच निर्मला देवी ने कहा कि बीमार महिला को निहारनी तक पहुंचाने में ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। महिला को उपचार के लिए नेरचौक मेडिकल कालेज भेजा गया है। उन्होंने कहा कि रास्ते की हालात भी काफी जोखिम भरी है। सरकार से आग्रह है कि गांव को जाने वाले खतरनाक रास्ते को संवारा जाए। वहीं गांव को सडक़ से जोडऩे के लिए जल्द योजना बनाई, ताकि बीमार होने पर दिक्कतों का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में एयरटेल व बीएसएनएल का सिग्नल नहीं आता है। न बिजली और न ही स्वास्थ्य केंद्र है। वार्ड सदस्य ने कहा कि कई बार पंचायत द्वारा सरकार को समस्या का समाधान करने के लिए अवगत करवाया गया, लेकिन ग्रामीणों की समस्या को दरकिनार किया जा रहा है।