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डीयू: नया सत्र शुरू लेकिन कई कॉलेजों में अभी भी खाली हैं सीटें
jantaserishta.com
11 Dec 2022 7:29 AM GMT

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नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट स्तर पर छात्रों की क्लासेज शुरू हो चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में कैम्पस व कैम्पस के बाहर के कॉलेजों में अभी भी सीटें खाली हैं। कुछ कॉलेजों में तो अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में 10 से 12 फीसदी सीटें खाली हैं।
सीयूएटी के अंतर्गत विश्वविद्यालय प्रशासन ने एडमिशन के लिए तीन लिस्ट व तीन स्पॉट राउंड जारी किए, उसके बाद भी कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि सबसे ज्यादा बुरी स्थिति विज्ञान विषयों में आरक्षित वर्ग के छात्रों की है। इन कॉलेजों में प्रवेश बहुत कम हुए हैं। एडमिशन के बाद कुछ छात्र अपनी सीटें छोड़कर इंजीनियरिंग, डॉक्टर, बीटेक, जेबीटी या अन्यों जगहों पर चले गए हैं। छात्रों के एडमिशन कैंसिल कराने पर कॉलेज व विभाग का दायित्व बनता है कि जितने एडमिशन कैंसिल हुए हैं उसके एवज में उतने ही नए एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक स्नातक स्तर पर छात्रों के दाखिले हेतु स्पेशल ड्राइव चलाने की बात कह रहे हैं। वहीं कुछ शिक्षकों ने कॉलेजों से सब्जेक्ट्स वाइज एडमिशन के आंकड़े मंगवाएं जाने की भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि इससे पता चल सकेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा कितने एडमिशन सामान्य वर्गो के छात्रों के किये हैं तथा उसके एवज में आरक्षित वर्ग की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है। जब ये आंकड़े उपलब्ध हो जायें तभी यूनिवर्सिटी को कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए।
विश्वविद्यालय में आरक्षित सीटों को भरने के लिए एससी को 15 प्रतिशत, एसटी साढे 7 प्रतिशत, ओबीसी 27 प्रतिशत, पीडब्ल्यूडी (विकलांग) 5 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। जब तक इन वर्गों का कोटा पूरा नहीं हो जाता विश्वविद्यालय व कॉलेजों को स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरना होता है लेकिन इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति में सीयूएटी के अंतर्गत कॉलेजों को सीटें आवंटित की है। अनेक कॉलेजों में अभी भी 10 से 12 फीसदी विज्ञान, वाणिज्य व कला विषयों की आरक्षित सीटें खाली पड़ी है।
इन सीटों में सबसे ज्यादा सीटें आरक्षित श्रेणी की है। दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग हर साल आरक्षित श्रेणी की कुछ सीटें खाली रह जाती हैं। इस साल भी सीटें खाली पड़ी है लेकिन कॉलेजों ने अभी अपनी वेबसाइट पर इन सीटों को डिस्प्ले नहीं किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के सदस्य रह चुके प्रोफेसर हंसराज सुमन का कहना है कि डीयू प्रशासन द्वारा सीटें आवंटित करने के बावजूद कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हुई है। उन्होंने कहा इसका सबसे बड़ा कारण डीयू में एडमिशन का विलंब से होना है। अधिकांश छात्रों ने पहले ही दूसरे विश्वविद्यालय व दिल्ली एनसीआर में बनी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन ले लिया ।
उनका कहना है कि यदि समय पर सीयूएटी की परीक्षा कराई जाती तो कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली नहीं रहती। साथ ही आरक्षित वर्गों के छात्रों को कितनी छूट दी गई है उसके विषय में दिल्ली विश्वविद्यालय ने पर्याप्त जानकारी नहीं दी। हर वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी से संबंधित छात्रों की अलग-अलग कॉलेजों में, अलग-अलग विषयों में बहुत सारी सीटें खाली रह जाती है किन्तु कॉलेज अपने यहां इन खाली सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं लिखते।
डॉ. सुमन ने बताया है कि कुछ कॉलेजों को छोड़कर अधिकांश कॉलेजों में 10 से 12 और कहीं-कहीं तो 15 फीसदी आरक्षित सीटें खाली पड़ी है, जबकि सामान्य वर्गों के छात्रों के प्रवेश की सीटें लगभग भर गई है। कुछ कॉलेजों में सामान्य वर्गो की निर्धारित सीटों से ज्यादा सीटों पर प्रवेश हुआ है। ऐसे में कॉलेजों से तुरंत सब्जेक्ट्स वाइज आंकड़े जारी कराने उसे वेबसाइट पर डिस्प्ले करने की मांग की गई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने यूजीसी के चेयरमैन और यूनिवर्सिटी के कुलपति से शैक्षिक सत्र 2022-23 में अंडर ग्रेजुएट स्तर पर कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग की है। इस संबंध में एससी एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति व राष्ट्रीय ओबीसी कमीशन को पत्र लिखा गया है।

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