सांकेतिक तस्वीर
बिहार। खगड़िया जिले में वर्ष 2006 में पदस्थापित तत्कालीन प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक मनीष कुमार सिन्हा को न्यायालय ने फरार घोषित कर दिया है। हालांकि न्यायिक दंडाधिकारी द्वितीय श्रेणी भवेश कुमार ने डीएसपी के विरुद्घ स्थायी अधिपत्र निर्गत करने का आदेश देते हुए तत्काल मामले को निष्पादित कर दिया है। आदेश में कहा है कि जब अभियुक्त मनीष कुमार सिन्हा न्यायालय में उपस्थित होंगे तो पुन: इस मामले की सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि उनके विरुद्ध सम्मन, जमानतीय वारंट एवं गैर जमानतीय वारंट न्यायालय से निर्गत किया गया था। यहां तक कि न्यायालय ने गत 2 फरवरी को खगड़िया एसपी को इस संबंध में उपस्थित कराने को लेकर पत्र लिखकर भेजा था। इसके बावजूद तथाकथित डीएसपी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। यह आदेश 2006 में दायर एक परिवार में दिया गया है।
घटना 15 सितंबर 2006 की है। खगड़िया कोर्ट के परिवादी सह अधिवक्ता गिरिधर गोपाल ने खगड़िया कोर्ट में नालसी दायर किया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नवनियुक्त प्रशिक्षु आरक्षी उपाधीक्षक मनीष कुमार सिन्हा ने रोक कर कहा कि मेरे सामने मोटरसाइकिल चलाने की हिम्मत कैसे की और उसने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया जिससे उसकी आंख में गंभीर चोट लगी और कान से सुनाई भी कम पड़ने लगा। इसके बाद उन्होंने आंख का इलाज चेन्नई स्थित शंकर नेत्रालय में कराया जिसका जख्म पत्र भी न्यायालय में समर्पित किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने 26 मार्च 2008 को भादवि की धारा 323 एवं 341 के अंतर्गत संज्ञान लिया था। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया घटना को सत्य पाते हुए संज्ञान लिया था।