मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक दोहरे क़त्ल को होने से पहले ही सुलझा लिया. एक ऐसा क़त्ल जिसमें मुंबई के मटका कारोबार पर राज करने वाली दो करोड़पति औरतों के नाम पूरे 60 लाख रुपये की सुपारी दी जा चुकी थी. क़ातिलों ने वारदात को अंजाम देने की सारी तैयारियां पूरी कर ली थीं. गोली चलाने के लिए गुर्गों का चुनाव भी कर लिया था. रेकी की जा चुकी थी. अब बस, किसी भी पल गोली चलने वाली थी. लेकिन ऐन मौके पर क्राइम ब्रांच को मिली एक खुफ़िया जानकारी ने सारी साज़िश का पर्दाफ़ाश कर दिया.
मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की यूनिट 9 की टीम को एक खुफिया जानकारी मिलती है. ये जानकारी कुछ गैंगस्टरों के बारे में है, जो मुंबई के खारडंडा इलाक़े के किसी मकान में छुपे थे. आनन-फ़ानन में छापेमारी की तैयारी की जाती है. बदमाशों के ठिकाने पर दबिश डाली जाती है. और खारडंडा में एक होटल के सामने से मुंबई पुलिस की ये टीम 18 दिसंबर को दो देसी पिस्तौल और छह ज़िंदा कारतूस के साथ एक शख्स को दबोचने में कामयाब हो जाती है. इस शख्स का नाम है जावेद. उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला जावेद कोई मामूली क्रिमिनल नहीं, बल्कि किराए का वो क़ातिल है, जो रुपयों के लिए किसी की भी जान ले सकता है. लेकिन सवाल ये है कि आख़िर बिजनौर का जावेद मुंबई में क्या कर रहा है. और उसके साथ ये मौत का सामान आख़िर किस जुर्म की तैयारी के लिए था.
लेकिन अभी मुंबई पुलिस उससे पूछताछ कर असलहों के साथ उसके मुंबई में छुपे होने की सच्चाई पता लगा पाती, तब तक बड़े हैरानी भरे तरीक़े से उसके कब्जे से पुलिस को दो महिलाओं की तस्वीरें हाथ लगती हैं. इनमें एक का नाम है जया भगत, जबकि दूसरी का नाम है आशा. जया और आशा रिश्ते में बहनें हैं. लेकिन इन दोनों बहनों की असली पहचान तो ये है कि जया और आशा मुंबई पुलिस की नाक के नीचे कल्याण इलाक़े में चलने वाले तीन हज़ार करोड़ के उस मटका कारोबार की मेन ऑपरेटर हैं, जिसके चक्कर में हर रोज़ अनगिनत लोग बर्बाद हो जाते हैं. लाखों-करोड़ों गंवा कर सड़कों पर आ जाते हैं.
अब सवाल ये था कि आख़िर जावेद के पास जया और आशा की तस्वीरें क्यों थीं? क्या जावेद दोनों को जानता था? या फिर इन तस्वीरों के पीछे कोई और कहानी है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए मुंबई पुलिस जावेद का मुंह खुलवाने की कोशिश करती है. जावेद पहले तो हिला हवाली करता है, लेकिन फिर जल्द ही पुलिस की सख्ती के आगे टूट जाता है. और फिर जो कुछ बोलता है, उसे सुन कर खुद क्राइम ब्रांच की टीम भी सकते में आ जाती है. जावेद की मानें तो आने वाले किसी भी रोज़ जया और आशा की जान जा सकती थी. क्योंकि दोनों के नाम की सुपारी निकल चुकी थी. और सुपारी भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि मुंबई से इंग्लैंड और इंग्लैंड से बिजनौर होते हुए मुंबई के लिए. पूरे 60 लाख रुपये की सुपारी.
असल में जया भगत मुंबई के उस बदनाम मटका किंग सुरेश भगत की बेवा की है, जिसका क़त्ल साल 2008 में एक रहस्यमयी सड़क हादसे में हो गया था. और पुलिस की मानें तो सुरेश के क़त्ल के पीछे भी कोई और नहीं, बल्कि खुद उसकी बीवी जया भगत ही थी, जो उसके 3 हज़ार करोड़ रुपये के काले साम्राज्य पर कब्ज़ा करना चाहती थी. क़त्ल के इस मामले में ना सिर्फ़ पुलिस ने जया को गिरफ्तार किया, बल्कि जया इन दिनों एक सज़ायाफ्ता मुजरिम के तौर पर जेल में भी थी. इधर, वो हाल ही में जमानत पर बाहर निकली थी और उधर जया के दुश्मनों ने उसके नाम की सुपारी दे दी.
असल में क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा जावेद तो सिर्फ़ एक मोहरा भर था, जो जया और आशा की जान लेना चाहता था. लेकिन इस काम में जावेद के अलावा और भी कई लोग शामिल थे, जो इस सुपारी गैंग से जुड़े थे. यही सुपारी गैंग दिन-रात जया और आशा की रेकी कर सिर्फ़ एक ऐसे मौके की तलाश में था, जब दोनों को गोलियों का निशाना बनाया जा सके. सच्चाई तो ये है कि दोनों बहनों के नाम की ये सुपारी निकले हुए भी अब क़रीब साल भर का वक़्त होने को है. असल में जया और आशा के दुश्मनों ने दोनों बहनों के नाम की सुपारी तो फरवरी महीने में ही निकाल दी थी, लेकिन इत्तेफ़ाक से दुनिया में कोरोना की मार पड़ गई. और लॉक डाउन की वजह से मर्डर का काम टल गया. लेकिन अब जैसे ही लॉकडाउन की पाबंदियां ख़त्म हुई, सुपारी उठानेवाले गैंग ने फिर से अपने शिकार को निशाना बनाने की तैयारियां शुरू कर दीं.
अब जावेद की निशानदेही पर पुलिस ने एक-एक कर मुंबई और यूपी से अनवर दर्जी, मकसूद कुरैशी और रामवीर शर्मा उर्फ़ पंडित समेत कुल पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. असल में ये वो लोग थे, जिन्हें जया और आशा के नाम के सुपारी मिली थी. लेकिन असली सवाल तो ये था कि आख़िर जया और आशा के नाम की सुपारी निकालने वाला शख्स आख़िर कौन है? इस सवाल का जवाब यकीनन चौंकाने वाला था. जब पुलिस ने पकड़े गए गैंगस्टरों से इस साज़िश के मास्टरमाइंड का नाम पूछा, तो दो चौंकाने वाले नाम सामने आए. इनमें एक नाम तो था मैनेचेस्टर, इंग्लैंड के रहने वाले बशीर बेगानी उर्फ़ मामू का. जबकि दूसरा नाम था मारे गए मटका किंग सुरेश भगत के छोटे भाई विनोद भगत का.
असल में सुरेश का भाई विनोद भगत की मामू से पुरानी जान-पहचान थी. कभी मामू मुंबई का छंटा हुआ बदमाश हुआ करता था. लेकिन वो पिछले कई सालों से इंग्लैंड में ही रह रहा था. सूत्रों की मानें तो इस बार विनोद ने मामू के अपने इसी पुराने ताल्लुकात का फायदा उठा कर खुद अपनी ही भाभी और उसकी बहन के क़त्ल की ख़ौफ़नाक साज़िश रची. विनोद भगत ने इसके लिए मामू से बात की और जया और आशा के क़त्ल के लिए 30-30 लाख रुपये की सुपारी देने की बात तय हुई. मामू ने इंग्लैंड में बैठे-बैठे बिजनौर के रामवीर शर्मा उर्फ़ पंडित से बात की. पंडित ने इस काम के लिए हामी भर दी. ओर तो और काम के लिए 14 लाख रुपये की पेशगी यानी एडवांस भी दी जा चुकी थी. यानी अब सुपारी निकल चुकी थी.
सुपारी को अमल में लानेवाला पंडित गोली चलाने के लिए गुर्गों का भी चुनाव कर चुका था. लेकिन ऐन मौके पर लॉक डाउन ने रास्ता काट दिया. अब लॉक डाउन खत्म होने के बाद मौत तेज़ी से दोनों बहनों की तरफ़ बढ़ रही थी. क़ातिलों ने ना सिर्फ़ दोनों के घर की रेकी कर ली थी, बल्कि उनकी तस्वीरें जुटाने के साथ-साथ उनके मकानों की तस्वीर, उनके घर से निकलने और लौटने की टाइमिंग सबकुछ पता कर लिया था. अब बस ट्रिगर दबने ही वाला था. लेकिन तब तक पुलिस को खबर मिल गई और डबल मर्डर की इस वारदात का खुलासा कर दिया.
अब सवाल ये था कि आख़िर एक देवर ने अपनी भाभी की सुपारी क्यों दी? क्या अब विनोद भगत अपने भाभी के मटका साम्राज्य की कमान अपने हाथों में लेना चाहता था. असल में ये जया भगत ही थी, जिस पर अपने पति के क़त्ल का इल्ज़ाम था. अदालत ने उसे इस जुर्म की सज़ा भी दी थी. ऐसे में पहले ही मारे गए सुरेश भगत के छोटे भाई विनोद का अपनी भाभी से दुश्मनी रखना भी लाज़िमी था. मगर विनोद भगत ने अपने भाई के क़त्ल का बदला लेने के इतना इंतज़ार क्यों किया? कहीं ऐसा तो नहीं कि वो अपने अपने भाभी के हाथों से मटके कारोबार भी छीनना चाहता था? फिर एक नया नाम सामने आया. गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली का. जिसका मुंबई के अंडरवर्ल्ड में कभी अपना अलग ही मुकाम था. इसी अरुण गवली के एक गुर्गे पर कभी मुंबई के मटका किंग रहे सुरेश भगत के क़त्ल का इल्ज़ाम लगा था और क़त्ल भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि रोड एक्सीडेंट के बहाने से. वो तो मुंबई पुलिस के ख़बरियों ने उसे इस क़त्ल की इनसाइड स्टोरी बता दी, वरना सुरेश भगत का क़त्ल भी हमेशा-हमेशा के लिए एक राज़ ही बन कर रह जाता.
मटका किंग सुरेश भगत के बारे में कहा जाता है कि उसका क़त्ल उसकी बीवी जया भगत और बेटे हितेश ने लाखों रुपये की सुपारी देकर अरुण गवली के खास गुर्गे सुहास रोगे से करवाया था. रोगे ने इस काम में प्रवीण शेट्टी और हरीश मांडवीकर जैसे बदमाशों को शामिल किया था और क़त्ल की एक ऐसी साज़िश रची, जिसे देख कर दूर-दूर तक किसी को इस बात का शक नहीं हो सकता था कि ये सड़क हादसा नहीं बल्कि क़त्ल है. बता दें कि साल 2008 में जब सुरेश भगत अपने लोगों के साथ एक एसयूवी में अलीबाग पेन रोड से गुज़र रहा था, तो सामने से आते एक तेज़ रफ्तार ट्रक ने एसयूवी को सामने से टक्कर मार दी. ये टक्कर इतनी भयानक थी कि एसयूवी में बैठे भगत समेत सभी के सभी छह लोगों की मौत हो गई. लोगों ने तो इसे सड़क हादसा ही समझा और पुलिस भी इसी एंगल से मामले की जांच कर रही थी, लेकिन इसी बीच एक मुखबिर ने पुलिस को क़त्ल की इस साज़िश के बारे में बता दिया. जब पुलिस ने इस एंगल से मामले की जांच की, तो कड़ी दर कड़ी जुड़ती गई और सुपारी देनेवालों के तौर पर खुद भगत की बीवी जया और उसके बेटे हितेश का नाम सामने आया. जया तो इस इल्ज़ाम में जेल भी जाना पड़ा. जबकि सुरेश के बेटे हितेश की बीमारी की वजह से 2014 को मौत हो गई थी.