डीआरडीओ ने किया एडवांस पिनाका रॉकेट का किया सफल परीक्षण, दुश्मनों के तबाह होंगे मंसूबे
डीआरडीओ ने किया एडवांस पिनाका रॉकेट का किया सफल परीक्षण, दुश्मनों के तबाह होंगे मंसूबे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : नई दिल्ली: गलवान घाटी में धोखेबाजी करने वाले चीन (China) को सबक सिखाने के लिए भारत हर स्तर पर तैयार है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती से लेकर हिंद महासागर में नौसेना के बेड़े को बढ़ाने तक, जल-थल और नभ में भारत ने जिस तरह अपनी शक्ति को स्थापित किया है। उससे पार पाना भी चीन के लिए बिल्कुल आसान नहीं होगा। इसी तर्ज पर पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पिनाका गाइडेड रॉकेट लांच सिस्टम के अपग्रेड संस्करण का ओडिशा के समुद्री तट पर शुक्रवार को भी सफल परीक्षण किया गया। इस दौरान परीक्षण के लिए तय किए गए सभी मानक सफलतापूर्वक हासिल किए गए।
दरअसल पिनाका सिस्टम की एक बैटरी में छह लॉन्च वेहिकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्टम और एक कमांड पोस्ट होती है। पिनाका के सफल परीक्षण के साथ, भारत ने अब तक दो महीनों से भी कम समय में 11 मिसाइलों का परीक्षण कर लिया है। इन मिसाइलों का परीक्षण ऐसे समय में किया जा रहा है जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच करीब पांच महीनों से भी ज्यादा समय से तनातनी जारी है।
सभी उड़ान लेखों को टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे रेंज इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा ट्रैक किया गया था। पिनाका रॉकेट का ये अपग्रेडेड संस्करण मौजूदा पिनाका एमके- I रॉकेटों की जगह लेगा जो वर्तमान में उत्पादन में हैं।
All the flight articles were tracked by range instruments such as telemetry, radar & Electro-Optical Tracking Systems which confirmed the flight performance.
— ANI (@ANI) November 4, 2020
Enhanced version of the Pinaka rocket would replace the existing Pinaka Mk-I rockets which are currently under production. https://t.co/w8hTzwFjSN
भगवान शिव के धनुष की तर्ज पर रखा गया नाम
इस रॉकेट के इसी साल मार्च में राजस्थान की पोखरण टेस्ट रेंज में भी तीन सफल परीक्षण किए गए थे। अब यहां भी परीक्षण की सफलता को सेना की आर्टिलरी क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। भगवान शिव के धनुष 'पिनाक' के नाम पर डेवलप किए गए इस मिसाइल सिस्टम को भारत और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तैनात करने के मकसद से बनाया गया है।