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डीआरडीओ: भारत का स्वदेशी ड्रोन रुस्तम-2 अप्रैल से 27 हजार फीट की ऊंचाई तक भरेगा उड़ान

Deepa Sahu
15 Feb 2021 2:16 PM GMT
डीआरडीओ: भारत का स्वदेशी ड्रोन रुस्तम-2 अप्रैल से 27 हजार फीट की ऊंचाई तक भरेगा उड़ान
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रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने स्वदेशी ड्रोन रुस्तम-2 को मध्यम ऊंचाई तक उड़ान

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने स्वदेशी ड्रोन रुस्तम-2 को मध्यम ऊंचाई तक उड़ान भरने में समर्थ बना दिया है। वह अप्रैल से 27000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने लगेगा। शुक्रवार को इसके प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण किया गया।स्वदेशी ड्रोन तकनीक के विकास की दृष्टि से डीआरडीओ लगातार प्रोन्नयन में जुटा है। यह रक्षा संस्थान देश को सैन्य उपकरणों के मामले में अत्याधुनिक बनाने में जुटा हुआ है।

रुस्तम-2 भारत का मध्यम ऊंचाई तक उड़ान भरने वाला अत्याधुनिक मानव रहित विमान या ड्रोन होगा।
अप्रैल तक पा लिया जाएगा लक्ष्य
स्वदेशी ड्रोन के विकास से जुड़े सूत्रों के अनुसार डीआरडीओ ने अप्रैल में रुस्तम-2 को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में 18 घंटे तक 27 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ाने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य हासिल करना बड़ी कामयाबी होगी।
अक्तूबर में भरी थी 16 हजार फीट की ऊंचाई पर 8 घंटे उड़ान
रुस्तम-2 को तापस-बीएच के तौर पर भी जाना जाता है। यह हवाई निगरानी के लिए रणनीतिक महत्व का उपकरण है। गत वर्ष अक्तूबर में इसने 16 हजार फीट की ऊंचाई पर आठ घंटे उड़ान भरी थी।
अब तक ड्रोन तकनीक में पिछड़ा था भारत
भारत ड्रोन तकनीक के मामले में अब तक पिछड़ी स्थिति में था। ड्रोन उपकरण अमेरिका व इस्राइल से आयात किए जाते रहे हैं। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दृष्टि से भी डीआरडीओ इस पर जोर दे रहा है। भारत अपनी 60 फीसदी रक्षा सामग्री का आयात करता है। विश्व में अमेरिका व चीन के बाद भारत ही ऐसा देश है जो रक्षा पर सर्वाधिक पैसा खर्च करता है।
चीन निर्यात करता है ड्रोन

भारत जहां ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है वहीं चीन ने 2008 से 2018 के बीच 13 देशों को 163 बड़े ड्रोन का निर्यात किया है। ये ड्रोन हथियार ले जाने में भी सक्षम हैं। उसने पाकिस्तान को भी विंग लूंग-2 ड्रोन दिए हैं। ये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना व ग्वादर पोर्ट की निगरानी के लिए दिए गए हैं। संभवत: पाकिस्तान ने इन्हीं की मदद से भारत के सीमा क्षेत्रों में आतंकियों की मदद के लिए हथियार भी गिराए थे।


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