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दहेज उत्पीड़न का आरोप बदला लेना मकसद', अदालत ने रद्द किया केस

Tara Tandi
3 Sep 2023 7:13 AM GMT
दहेज उत्पीड़न का आरोप बदला लेना मकसद, अदालत ने रद्द किया केस
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सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक अधिकारी, उसके आर्किटेक्ट भाई और मां के खिलाफ उसके दूसरे भाई की पत्नी की शिकायत पर दर्ज दहेज उत्पीड़न का मामला खारिज कर दिया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता के बयान में स्पष्ट विसंगतियां है। वह साफतौर पर अपने ससुराल वालों से प्रतिशोध लेना चाह रही है।
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पीठ ने इस दलील को दरकिनार कर दिया कि अपीलकर्ताओं की एफआईआर को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। पीठ ने कहा, यह अच्छी तरह से स्थापित है कि हाईकोर्ट के पास एफआईआर को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर विचार करने और कार्रवाई करने की शक्ति है, भले ही ऐसी याचिका के लंबित रहने के दौरान पुलिस ने आरोपपत्र दायर कर दिया हो।

शीर्ष अदालत ने कहा, पति के परिवार के सदस्यों की ओर से पत्नी की उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने के उदाहरण न तो दुर्लभ हैं और न ही हाल ही में उत्पन्न हुए हैं और इस संबंध में भारी संख्या में मिसालें हैं। पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अभिषेक व अन्य की अपील को स्वीकार कर लिया और उनकी भाभी भावना की ओर से उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।
सभी आरोप आश्चर्यजनक
पीठ ने कहा, आश्चर्यजनक रूप से भावना का आरोप है कि अपनी शादी के समय अभिषेक ने उससे और उसके माता-पिता से एक कार और दो लाख रुपये नकद की मांग की थी। वह अपनी शादी में अपनी भाभी से ऐसी मांग क्यों करेगा, यह समझ से परे है। भावना ने यह भी शिकायत की थी कि मैक्सी पहनने के कारण एक बार सास ने उस पर ताने भी मारे थे। हालांकि, पीठ ने कहा कि धारा 498ए के तहत यह प्रताड़ना नहीं है। पीठ ने कहा, भावना ने हाईकोर्ट में उसके खिलाफ एक शातिर शिकायत दर्ज की, जिससे पता चलता है कि वह स्पष्ट रूप से अपने ससुराल वालों से प्रतिशोध लेना चाहती थी।
घर छोड़ने के चार साल बाद दर्ज कराई एफआईआर
अपना वैवाहिक घर छोड़ने के चार साल बाद 2013 में भाभी भावना ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। पीठ ने कहा, त्योहार के दौरान शिकायतकर्ता की ससुराल वालों से सिर्फ तीन चार बार बातचीत हुई। सौरभ (वास्तुकार) 2007 से दिल्ली में तैनात है। अन्य अपीलकर्ता अभिषेक 2007 में शिकायतकर्ता (भाभी) की शादी के छह से सात महीने बाद न्यायिक अधिकारी बन गया था।
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