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बीजेपी को दोहरा झटका: पार्टी में भगदड़ का साइड इफेक्ट, अपना दल-निषाद पार्टी की बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ी
jantaserishta.com
13 Jan 2022 5:44 AM GMT
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के औपचारिक ऐलान के साथ ही जिस तरह ओबीसी के तमाम नेता बीजेपी छोड़कर जा रहे हैं, उससे पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी और अपना दल (एस) की गठबंधन में सियासी अहमियत और बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ गई है, क्योंकि इन दोनों दलों का आधार भी ओबीसी समुदाय के बीच है. यही वजह है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने दोनों ही सहयोगी दलों के साथ बैठक कर सीट बंटवारे पर मंथन किया.
बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के साथ बैठक की. इस दौरान बीजेपी ने अपने दोनों सहयोगी दलों से गठबंधन में रहने का भरोसा मांगा. इसकी वजह यह थी कि दो दिनों से यह चर्चा थी कि अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के नेता भी समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं. इसीलिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय होकर डैमेज कन्ट्रोल करने में जुट गया है.
दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे कद्दावर ओबीसी नेताओं का योगी कैबिनेट से इस्तीफा होने के साथ-साथ चार अन्य विधायकों ने भी बीजेपी छोड़ दी है. बीजेपी छोड़ने वाले दोनों ही ओबीसी नेताओं ने दलित, पिछड़ों, वंचितों के साथ भेदभाव करने का योगी सरकार पर आरोप लगाया है. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने उस सोशल इंजीनियरिंग को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है, जिसके बूते उसे 2017 के चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत हासिल हुआ था.
स्वामी प्रसाद के बीजेपी छोड़ने पर अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बीजेपी और एनडीए से जाना दुखद है. पटेल ने कहा कि 'बीजेपी को ओबीसी नेताओं के आत्मसम्मान का ध्यान रखना चाहिए और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूरे मामले को अपने हाथ में लें.'
इसी के बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व एक्शन में आया. निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद को दिल्ली बुलाया गया तो अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल से बात की. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कोर कमेटी के बाकी सदस्यों में धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल, योगी आदित्यनाथ के साथ संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल की मीटिंग हुई. इस दौरान सीट शेयरिंग को लेकर भी चर्चा हुई है. सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को बीजेपी की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक के बाद सीटों का ऐलान किया जा सकता है.
2017 के विधानसभा चुनाव में 2017 में बीजेपी ने अपना दल (एस) को 11 सीटें मिली थी, जिनमें से 9 सीटों पर उसे जीत मिली थी. वहीं, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 8 सीटें दी थीं, जिनमें से 4 सीटों पर उसे जीत मिली थी. राजभर इस बार बीजेपी का साथ छोड़कर सपा के साथ गठबंधन कर लिया है. ऐसे में बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है.
अपना दल (एस) पिछली बार से ज्यादा सीटों पर इस बार चुनाव लड़ने का मन बनाया है. पार्टी के अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल कह चुकी हैं कि पांच साल में हमारी पार्टी का जनाधार बढ़ा है और पार्टी का सियासी विस्तार के लिए हम पिछली बार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वहीं, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी लगातार सीटों की डिमांड कर रहे हैं. डॉ. संजय निषाद ने दिल्ली में बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि हमें डेढ़ दर्जन सीटें देने का भरोसा बीजेपी नेतृत्व ने दिया है.
बीजेपी में जिस तरह से ओबीसी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, उससे दोनों ही सहयोगी दल की बार्गनिंग पोजिशन बढ़ गई है. ऐसे में अपना दल (एस) का सियासी आधार कुर्मी समाज के बीच है तो निषाद पार्टी का आधार निषाद, मल्लाह, कश्यप जाति के बीच है. यूपी का चुनाव जिस तरह से ओबीसी केंद्रित हो रहा है, उससे बीजेपी के लिए अपने दोनों सहयोगी को साथ जोड़कर रखने की चुनौती है. ऐसे में बीजेपी उनके कुछ सीटों पिछली बार से बढ़ाकर दे सकती है.
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