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मार नहीं, प्यार से सिखाने की जरूरत

Nilmani Pal
20 Sep 2022 6:52 AM GMT
मार नहीं, प्यार से सिखाने की जरूरत
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सुशील देव

अब बच्चों पर आप हाथ नहीं उठा सकते। खासकर स्कूली बच्चों पर, जब उनके शिक्षक उन्हें पढ़ा रहे होते हैं। आजकल कई शिक्षकों की शिकायत मिलती है कि उन्होंने किसी बच्चे को इतना पीटा कि उसके कान के पर्दे फट गए। इतना पीटा कि उसकी तबीयत बिगड़ गई या उनके शरीर में कोई तकलीफ उभर आई। शिक्षकों का ऐसा व्यवहार न केवल दुख पहुंचाने वाला है बल्कि बेहद चिंताजनक भी है। जिन शिक्षकों की पहली जिम्मेदारी छात्रों के चऱित्र निर्माण की थी, जिन्हें छात्रों के जीवन का निर्माता कहा जाता है, उनका इस तरह का स्वभाव हमारी गुरू परंपरा पर सवाल खड़ा करता है। दरअसल, कोविड काल के बाद शिक्षकों का अपने छात्रों के प्रति रवैया बदला है। उनमें पहले की अपेक्षा अब छात्रों के प्रति गुस्सा और हिंसात्मक एप्रोच ज्यादा देखा जाने लगा है। जबकि विशेषज्ञों ने इस बात को बार-बार दोहराया है कि आज के दौर में बच्चों को पीटने से ज्यादा उन्हें समझने की जरूरत है। एक शिक्षक को बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसे लेकर भी कई प्रयास हुए हैं और कानूनी रूप में तो बच्चों को शारीरिक या मानसिक दंड देना अपराध है। इसके लिए दोषियों को कड़ी सजा हो सकती है। बावजूद इसके शिक्षकों का छात्रों के प्रति बदलता ही जा रहा है।

कहते हैं कि पूरी दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में बच्चों पर किसी तरह की पिटाई को प्रतिबंधित कर दिया गया है। मगर भारत में आज भी बात-बात में बच्चों की पिटाई कर दी जाती है। भारत में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जहां पिटाई की वजह से बच्चों को शारीरिक नुकसान उठाना पड़ा है या फिर जान ही गंवानी पड़ी है। पिछले कुछ साल की घटनाओं पर गौर करें तो इस पर बहुत बवेला मच चुका है। आजकल बच्चों को पीटते कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसे देखते ही हम-आप सिहर उठते हैं। आसनसोल के एक स्कूल में जब चौथी और पांचवी कक्षा के बच्चों को विद्यालय के एक शिक्षक ने बुरी तरह पिटाई कर दी तो हंगामा खड़ा हो गया। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक शिक्षक ने चिलचिलाती धूप में 20 विद्यार्थियों को खड़ा करके पीटा। उस समय तापमान 41 डिग्री सेल्सियस था। पिटाई और गर्मी के कारण कुछ बच्चे बेहोश होकर गिर पड़े थे। बाद में ग्रामीणों की मदद से पुलिसिया कार्रवाई हुई। यूपी के बांदा में शिक्षक के पीटने से एक छात्र की मौत हो गई। इस तरह के कई उदाहरण हैं जो सरकारी या निजी स्कूलों के शिक्षकों के बीच देखे जा सकते हैं। शिक्षकों का इस तरह अमानवीय और असंवेदनशील होना उनके संस्कार और उनकी विद्वता पर सवाल खड़ा करता है।

अब बात उठती है कि एक शिक्षक को बच्चों को पीटने की बजाए क्या करना चाहिए? कहते हैं कि उन्हें पीटने से ज्यादा आज उन्हें समझने की जरूरत है। बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। एक शिक्षक को उनका मार्गदर्शक या राह दिखाने वाली भूमिका रखनी चाहिए। अच्छे शिक्षक की यही पहचान है कि छात्र उनसे डरे नहीं, बल्कि उनकी क्लास का इंतजार करें। उनसे निसंकोच प्रश्न पूछे और यहां तक कि उन पर माता-पिता से अधिक विश्वास करें। बच्चों और शिक्षकों का संबंध ऐसा होना चाहिए कि बच्चे शिक्षकों से खुलकर बात करें। उनके बीच किसी भी प्रकार का डर, भय या संशय न रहे। शिक्षकों को भी ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि बच्चे स्वयं यह तय करें कि क्या गलत है, क्या सही है। बच्चों को किसी प्रकार की गलत सलाह नहीं देनी चाहिए। शिक्षकों को एक समान नजरिए से उन्हें देखना चाहिए। कमजोर छात्रों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। उनकी कोई परेशानी है तो बातचीत के आधार पर उसका निपटारा करने की कोशिश होनी चाहिए। ऐसी कई बातें हैं जिन्हें शिक्षकों को भी अपने चरित्र में उतारने की जरूरत है। आखिर में, यही कहना चाहेंगे कि गुरु-शिष्य का संबंध बड़ा अनमोल होता है। उनकी पिटाई या प्रताड़ना देकर उनसे मधुर संबंध नहीं बनाए जा सकते। अनुशासन का पाठ पढ़ाने के चक्कर में शिक्षकों की अनुशासनहीनता कोई मिसाल नहीं बन सकती। इसलिए उनके बीच परस्पर प्रेम और स्नेह का होना बहुत आवश्यक है।

हालांकि यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि एक शिक्षक जब बच्चों को शिक्षा दे रहे होते हैं तो डांटना-डपटना और सख्ती से पेश आना भी जरूरी है मगर उससे ज्यादा बच्चों के साथ घुल-मिल कर पठन-पाठन कार्य करना ही ज्यादा श्रेयस्कर होगा। सहनशील होकर बच्चों में धर्म-कर्म या समाज के प्रति आस्थावान बनाना और उनके प्रतिभा की सराहना करते रहना भी उनका सर्वांगीण विकास कर सकती है। माता-पिता या अभिभावकों का भी कर्तव्य बनता है कि बच्चे को अकेले में बुलाकर बातचीत करें। उसकी समस्याओं को सुनें और समाधान की दिशा में कदम उठाएं। उनकी जो भी गलत आदतें हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए मगर उससे भी ज्यादा उन्हें विश्वास में लेना जरूरी है। उन पर जल्द हाथ उठाना या कार्रवाई कर देना उचित नहीं है, क्योंकि प्यार से जो चीज सिखाई जा सकती है वह पिटाई से नहीं।

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