भारत

22 साल की युवती को डॉक्टरों ने दिया नया जीवन, घुटने के अजीब शेप को किया ठीक, जानिए कितनी मुश्किल थी सर्जरी

Admin2
25 Aug 2021 11:44 AM GMT
22 साल की युवती को डॉक्टरों ने दिया नया जीवन, घुटने के अजीब शेप को किया ठीक, जानिए कितनी मुश्किल थी सर्जरी
x

DEMO PIC

22 साल की युवती को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है. डॉक्टरों ने उसकी हड्डी की नए तरीके से सर्जरी कर युवती को उसकी समस्या से निजात दिला दिया है. युवती नॉक नीज (Knock Knees) नाम की समस्या से जूझ रही थी. यह समस्या उन लोगों में होती है जिनका बचपन कुपोषित होता है या फिर उन्हें रिकेट्स (Rickets) नाम की बीमारी हो.

नॉक नीज (Knock Knees) या रिकेट्स विटामिन डी की कमी से होता है. कोरोना के समय बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से वह घर के अंदर बंद है. ऐसे में सूरज की रोशनी नहीं मिलने से ये दिक्कत कई लोगों को हो रही है. घुटनों में किसी तरह के चोट, संक्रमण या हड्डियों या फिर जेनेटिक कमी की वजह से हड्डियों या जोड़ों में यह समस्या आती है.
इंडियन स्पाइनल इंजरीस सेंटर (ISIC) के डॉक्टरों ने बताया कि हमने हाल ही में एक 22 वर्षीय युवती के हड्डियों की सर्जरी सामान्य तरीके में बदलाव करके किया है. जिससे बीमारी तो ठीक हो गई, साथ ही सर्जरी की कीमत भी कम हो गई. हमने पिछले साल 10 महिलाओं का ऐसा ऑपरेशन किया, जो 16 से 22 साल के बीच की थीं. इनमें से 8 ऐसी थीं, जिनके दोनों घुटने में यह दिक्कत थी. दो महिलाओं के एक-एक घुटने में यह समस्या थी.
ISIC में ऑर्थोपेडिक्स के एसोसिएट कंसलटेंट डॉ. सुरभित रस्तोगी ने बताया कि इस युवती के घुटनों में रिकेट्स या अनजान कारणों से दिक्कत आ गई थी. उसके माता-पिता को सर्जरी के बाद घाव के निशान रह जाने का डर था. हमने इस बार सर्जरी के लिए सिर्फ 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाया. जबकि आम सर्जरी में 25 सेंटीमीटर का चीरा लगता है. हमने घुटने के ऊपर चीरा लगाने के बजाय जांघ के निचले हिस्से की तरफ चीरा लगाया, ताकि वह दिखाई न दे. साथ ही खून भी कम निकले.
इस सर्जरी में किसी भी विशेष चिकित्सा यंत्र की जरूरत नहीं पड़ी. साधारण सर्जिकल यंत्रों का उपयोग किया गया. यह सर्जरी कम आय के लोगों के लिए भी सही है. हमने V आकार का छोटा सा कट लगाया जिसे ओस्टियोटोमी कहते हैं. इसे मेटाफाइसिस और डायाफाइसिस यानी जांघ की हड्डियों के निचले हिस्से में जो दिक्कत थी उसे ठीक किया.
डॉ. सुरभित रस्तोगी ने बताया कि यह एक सामान्य ओस्टियोटोमी सर्जरी थी, इसलिए हमें फिक्सेशन के लिए किसी इंप्लांट की जरूरत नहीं पड़ी. पैरों को संतुलित रखने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस के कास्ट को लगाया गया है. ताकि हड्डियों को सही तरीके से रिपेयर किया जा सके. इसमें हमने किसी तरह के प्लेट का उपयोग नहीं किया है.
अस्पताल में हिप सर्विसेज के प्रमुख और सीनियर कंसलटेंट डॉ. दीपक रैना ने कहा कि नॉक नीज को जेनु वलगम (Genu Valgum) भी कहते हैं. इसे सर्जरी से ठीक किया जा सकता है. लेकिन इसके आमतौर पर विशेषज्ञ और खास तरह के यंत्रों की जरुरत होती है. जिसकी वजह से इस सर्जरी की कीमत बढ़ जाती है.


Next Story