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दिवाली के बाद एक बार फिर प्रदूषण की चर्चा हो रही है. देश के कई शहरों में तो प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी ऊपर है. प्रदूषण को लेकर राज्य सरकारों की ओर से पटाखों के लिए कई गाइडलाइंस भी जारी की गई थी. लेकिन, इसके बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. अगर पिछले दो दिन के प्रदूषण के आंकड़े देखें तो प्रदूषण काफी बढ़ गया है. दरअसल, पटाखों से भी हवा काफी दूषित हुई है.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर दिवाली से प्रदूषण से कितना असर पड़ा है. इसलिए, हम देश के प्रमुख शहरों के आंकड़ों से बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इससे कितना असर पड़ा है और इसमें आपके शहर का क्या हाल है…
पटना
अगर बिहार की राजधानी पटना के मुरादपुर की बात करें तो यहां 5 नवंबर यानी आज एक्यूआई 241 है, जबकि कल यानी गुरुवार को यह 215 था.
छतीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में शुक्रवार को एक्यूआई 118 है, जबकि गुरुवार को यह आंकड़ा 107 था.
दिल्ली
दिल्ली के अशोक नगर में शुक्रवार यानी आज एक्यूआई 469 है जबकि दिवाली के दिन 368 था. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदूषण कितना बढ़ गया है.
गुरुग्राम
गुरुग्राम के सेक्टर-51 की बात करें तो यहां आज प्रदूषण का स्तर 486 है. इससे पहले यह स्तर 401 था और एक दिन में काफी बढ़ गया है.
भोपाल
भोपाल के टीटी नगर के आंकड़ों के अनुसार, यहां एक्यूआई 244 है, जो गुरुवार को 182 था. यहां भी बढ़ोतरी देखी गई है.
मुंबई
मुंबई के बांद्रा में ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया. यहां गुरुवार को भी एक्यूआई लेवल 103 था और प्रदूषण के बाद ऐसा नहीं था.
जयपुर
वहीं, जयपुर में भी प्रदूषण दो दिन में बढ़ गया है. यहां के शास्त्री नगर की बात करें तो यहां दिवाली पर एक्यूआई 239 था और अब आज यह 317 हो गया है. ऐसे में यहां भी दिवाली के पटाखों से काफी असर पड़ा है.
लखनऊ
लखनऊ के लालबाग में आज प्रदूषण का स्तर 305 है, जो गुरुवार को 258 था.
(ये आंकड़ें सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट की ओर से लिए गए हैं.)
कैसे पता चलता है?
हवा की क्वालिटी मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ईकाई है, जिसके आधार पर पत चला जाता है कि उस स्थान की हवा कितनी साफ है और सांस लेने योग्य है या नहीं. इसमें अलग अलग कैटेगरी होती है, जिससे समझ आ जाता है कि उस स्थान की हवा में कितना प्रदूषण है. दरअसल, एयर क्वालिटी इंडेक्ट में 8 प्रदूषक तत्व को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है. अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है.
इन तत्वों में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अलग नहीं होना चाहिए. इसके अलावा इनमें PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और Pb आदि तत्व शामिल है. यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है.
कितनी होती है कैटेगरी
बता दें कि हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी होती है. इसमें अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. अगर अच्छी रैंकिंग की बात करें तो इसमें 50 से कम होना चाहिए. इसके बाद ये स्तर बढ़ता जाता है और 500 से ऊपर हो जाता है तो यह एक इमेरजेंसी की स्थिति है और इससे सांस संबंधी दिक्कत होने का खतरा बढ़ जाता है और लोगों को सलाह दी जाती है कि ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहें.
कैसे मापा जाता है?
दरअसल, इसके लिए अलग-अलग डिवाइस होती है, जिनके जरिए एक्यूआई का पता लगाया जा सकता है. सरकार भी कई जगहों पर यह मीटर लगाकर रखी है और इससे पता लिया जाता है कि उस हवा की क्या स्थिति है. इसमें हर तत्व का सही पता उसके घंटों के आधार पर लगता है. जैसे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के लिए 6 घंटे रखना होता है, ऐसे ही दूसरे तत्वों के लिए अलग व्यवस्था है. ऐसे में इसे पूरे 24 घंटे एक स्थान पर रखकर उसका पता लगाया जाता है. इसकी मशीनें होती हैं और इन्हें अलग अलग जगह रखा जाता है.
Gulabi
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