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दिमा हसाओ में पुलिस फायरिंग में डीएनएलए कैडर की मौत, दो अन्य घायल

Shantanu Roy
15 Sep 2023 3:38 PM GMT
दिमा हसाओ में पुलिस फायरिंग में डीएनएलए कैडर की मौत, दो अन्य घायल
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गुवाहाटी(आईएएनएस)। असम के दिमा हसाओ जिले के माईबोंग इलाके में एक विवाद के बाद पुलिस की गोलीबारी में सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते में शामिल दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के एक कैडर की मौत हो गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि डीएनएलए के दो अन्य कैडरों को गोली लगी है और उनका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, वे खतरे से बाहर हैं। यह घटना माईबोंग में डीएनएलए कैडरों के निर्दिष्ट शिविर के बाहर शुक्रवार को लगभग दो बजे हुई।
मृतक की पहचान अली दिमासा के रूप में हुई है। दिमा हसाओ के पुलिस अधीक्षक मयंक झा ने आईएएनएस को बताया़, "जब एक पुलिस टीम रात में गश्त ड्यूटी पर थी, तब शिविर में डीएनएलए कैडरों के कमांडर का उनके शिविर के बाहर पुलिस के साथ विवाद हो गया। वह देर रात नशे की हालत में घूम रहा था और पुलिस ने उसे वापस शिविर में जाने के लिए कहा। लेकिन उसने पुलिस अधिकारियों के साथ झगड़ा करना शुरू कर दिया।" पुलिस के मुताबिक, इसके तुरंत बाद शिविर से कई कैडर मौके पर पहुंचे और पुलिस टीम पर हमला करने की कोशिश की।
झा ने कहा, "भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस टीम ने हवा में गोलियां चलाईं; हालांकि, दुर्भाग्य से एक गोली डीएनएलए के तीन कैडरों को लग गई। गोली लगने से एक कैडर की मौत हो गई। अन्य दो को अस्पताल में भर्ती कराया गया।" इस बीच, दिमा हसाओ जिले के पूर्व विधायक समरजीत हाफलोंगबार ने कहा कि पुलिस ने संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन किया और निहत्थे डीएनएलए कैडरों पर गोलियां चलाईं। हाफलोंगबार ने कहा, "हम सरकार से मामले में उचित जांच शुरू करने और घटना के पीछे शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। हम इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।"
इस दौरान एसपी ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी, अगर कोई दोषी पाया गया तो उसे उचित सजा मिलेगी। इससे पहले, इस साल अप्रैल में केंद्र, असम सरकार और दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के प्रतिनिधियों के बीच नई दिल्ली में एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तब कहा कि डीएनएलए के प्रतिनिधि हिंसा छोड़ने, सभी हथियार और गोला-बारूद सौंपने, अपने सशस्त्र संगठन को खत्म करने, डीएनएलए कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने और कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुए हैं। इस समझौते के परिणामस्वरूप, डीएनएलए के 168 से अधिक कैडरों ने अपने हथियार डाल दिए।
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