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यूसीसी के विरोध में DMK, आया ये बयान

jantaserishta.com
1 July 2023 12:15 PM GMT
यूसीसी के विरोध में DMK, आया ये बयान
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चेन्नई (आईएएनएस)। 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर बड़ा बयान दिया है। इसे कई लोग आम चुनाव जीतने के लिए भगवा पार्टी के कदम के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, यह उत्तर भारत में पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन, दक्षिण भारत में यह मुश्किल है। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में इसका उल्टा असर पड़ेगा।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रमुक यूसीसी के विरोध में सख्त रही है और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली पार्टी ने देश को विभाजित करने की कोशिश की बात करते हुए प्रधानमंत्री और भाजपा के खिलाफ जमकर हमला बोला। द्रमुक के सहयोगी दल भी यूसीसी के विरोध में मुखर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि विपक्षी अन्नाद्रमुक, जो तमिलनाडु में भाजपा की सहयोगी है, ने यूसीसी पर अपनी स्थिति का ठीक से जवाब नहीं दिया है। इस मुश्किल सवाल का जवाब देने की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी (ईपीएस) को दे दी है।
खास बात ये है कि स्टालिन यूसीसी के विचार का विरोध करने वाले पहले व्यक्ति थे। चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूसीसी के लागू होने से देश में अशांति फैल जाएगी। मोदी धर्म के नाम पर अशांति पैदा करके भ्रम पैदा कर रहे हैं। वो चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। डीएमके नेता ने कहा, यूसीसी को पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए। डीएमके और तमिलनाडु के लोग यूसीसी नहीं चाहते हैं।
स्टालिन के नक्शेकदम पर चलते हुए डीएमके नेता और पार्टी प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने भी देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री की आलोचना की। एलंगोवन ने कहा कि यूसीसी को सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए और आह्वान किया कि एससी/एसटी समुदायों में जन्मे लोगों सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
द्रमुक नेता ने कहा कि यह तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार थी, जिसने सभी जातियों से आए अर्चकों (पुजारियों) को नियुक्त करने के चुनावी वादे को लागू किया था। उन्होंने यह भी कहा कि डीएमके यूसीसी सिर्फ इसलिए नहीं चाहती क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है।
डीएमके प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी का विचार मुस्लिम समुदाय पर दबाव बनाना था। एमडीएमके भी यूसीसी के खिलाफ पुरजोर तरीके से सामने आई और पार्टी के संस्थापक महासचिव एवं सांसद वाइको ने कहा कि केंद्र को यूसीसी लागू करने की अपनी योजना छोड़ देनी चाहिए। विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) जैसे द्रमुक के सहयोगियों और वामपंथी दलों, सीपीआई और सीपीआई-एम ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश कर रही केंद्र की भाजपा सरकार का कड़ा विरोध किया है।
गौरतलब है कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके भी यूसीसी को लेकर भगवा पार्टी के साथ नहीं है और 2019 के चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने कहा था कि पार्टी केंद्र सरकार से यूसीसी को लागू न करने का आग्रह करेगी। पार्टी नेतृत्व सीधे सवाल का जवाब देने से कतरा रही है और तमिलनाडु में भाजपा के साथ अस्थिर राजनीतिक गठबंधन के साथ, अन्नाद्रमुक अगले कुछ दिनों में अपने राजनीतिक रुख के साथ सामने आएगी।
तमिलनाडु में भाजपा पहले से ही मुश्किल स्थिति में है क्योंकि उसके सहयोगी अन्नाद्रमुक के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। ऐसे में भाजपा और प्रधानमंत्री की यूसीसी की वकालत से उसके गठबंधन सहयोगियों की भी भगवा पार्टी से दूरी बनाए रखने की संभावना है। द्रमुक और स्टालिन का लक्ष्य तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों और पुडुचेरी की एकमात्र सीट पर है। पार्टी नेतृत्व की राय है कि यूसीसी का कड़ा विरोध अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बीच उसकी हिस्सेदारी बढ़ाएगा, जिसके पास राज्य में एक समर्पित वोट बैंक है।
चेन्नई स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज थिंक टैंक के निदेशक सी राजीव ने आईएएनएस को बताया, "देश में यूसीसी के कार्यान्वयन की संभावना पर भोपाल में प्रधानमंत्री के बयान का तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है। द्रमुक और उसके सहयोगियों ने पहले ही इस कदम पर अपना विरोध जताया है। यहां तक कि अन्नाद्रमुक भी इस मुद्दे पर भाजपा को अपना समर्थन नहीं देगी।" भाजपा पहले से ही मुश्किल स्थिति में है और अगर 2024 के चुनावों के दौरान देश में यूसीसी लागू होता है, तो पार्टी को राज्य से ज्यादा समर्थन नहीं मिलेगा।
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