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डीके शिवकुमार ने देर रात केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से की मुलाकात

Nilmani Pal
20 Sep 2023 1:58 AM GMT
डीके शिवकुमार ने देर रात केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से की मुलाकात
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दिल्ली। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, कर्नाटक के मंत्री टीबी जयचंद्र, सांसद डीके सुरेश और सांसद जीसी चंद्रशेखर ने कल रात दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की और कावेरी जल मुद्दे पर चर्चा की.

क्या है कावेरी जल विवाद?

कावेरी जल विवाद 140 साल से भी अधिक पुराना है। इसकी शुरुआत साल 1881 में तब हुई जब मैसूर राज्य ने कावेरी नदी पर बाँध बनाने का फैसला किया। इस फैसले के बारे में सुनते ही मद्रास प्रेसिडेंसी ने आपत्ति जाहिर की। तब अंग्रेजों ने इसमें दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। इसके बाद साल 1924 में मामला फिर उठा। इस बार मैसूर और मद्रास के साथ ही केरल और पुदुचेरी ने भी कावेरी के पानी में अपना हिस्सा बताया। मामला कोर्ट में पहुँचा और अंग्रेजों ने फिर से सुलह करा दी।

देश की आजादी के बाद भी कावेरी के पानी का मुद्दा समय-समय पर उठता रहा। स्थितियाँ बिगड़ती देख केंद्र सरकार ने 2 जून, 1990 को ट्रिब्यूनल का गठन किया। साल 1991 में ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक कावेरी के पानी का एक हिस्सा तमिलनाडु को देगा। साथ ही हर महीने पानी देने को लेकर भी फैसला हुआ। लेकिन बात अंतिम नतीजे तक नहीं पहुँच पाई। ट्रिब्यूनल के इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक में हिंसक झड़प भी हुई थी। इसके बाद साल 2007 में मामला फिर अदालत में पहुँच गया। कोर्ट की दखल के बाद ट्रिब्यूनल ने साल 2007 में कावेरी नदी के पानी का बँटवारा कर दिया। इसके हिसाब से कावेरी का पानी सभी दावेदारों को देने का फैसला हुआ। ट्रिब्यूनल ने यह माना था कि कावेरी में 740 TMC पानी है। इसमें से तमिलनाडु को 419, कर्नाटक को 270, केरल को 30 और पुदुचेरी को 7 TMC पानी दिया जाना था। यही नहीं, विवाद सुलझाने के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल नियमन समिति भी बनाई गई थी। लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु के अड़ियल रवैये के चलते मामला सुलझ नहीं पाया।


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