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DIWALI 2020: गलती से भी न खरीदें लक्ष्मी मां की ऐसी मूर्ति-तस्वीर, आ सकती है कंगाली

jantaserishta.com
13 Nov 2020 5:29 AM GMT
DIWALI 2020: गलती से भी न खरीदें लक्ष्मी मां की ऐसी मूर्ति-तस्वीर, आ सकती है कंगाली
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धनतेरस (Dhanteras 2020) का त्योहार आज मनाया जा रहा है. धनतेरस का दिन खरीदारी के लिए बहुत शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वन्तरि और कुबेर देव की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस के दिन हर तरह के उपाय किए जाते हैं. धनतेरस पर पूजा से धन-वैभव और संपत्ति का वरदान पाया जा सकता है.

धनतेरस पर मां लक्ष्मी की नई तस्वीर या मूर्ति लाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. मां लक्ष्मी से जुड़ी हर चीज का अपना महत्व और प्रभाव है. चलिए जानते हैं धनतेरस और दिवाली की पूजा में मां लक्ष्मी की कैसी मूर्ति या चित्र की पूजा करनी चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए.

मां लक्ष्मी का ऐसा चित्र ही घर लाएं जिसमें वह कमल के पुष्प पर बैठी हुईं हों. मां लक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं. इस मुद्रा का अर्थ यही है कि दुनिया में रहकर भी पूरी तरह से दुनिया के मायाजाल में नहीं फंसें. कमल की उत्पत्ति कीचड़ में होती है लेकिन यह पानी की सतह से ऊपर मुस्कुराता दिखता है. मोह से बाहर निकलना और विकास करते रहना ही इसका संदेश है.

मां लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है. पैसा कमाना तो आसान है लेकिन स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति बहुत मुश्किल से होती है. अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में लक्ष्मी का लंबे समय तक वास रहे तो आप लक्ष्मी मां की खड़ी मुद्रा की तस्वीर घर में ना लाएं. जिस तस्वीर या मूर्ति में मां बैठी हुईं हों, ऐसी तस्वीर की पूजा करना श्रेष्ठ है.

जिस तस्वीर में मां लक्ष्मी के हाथ से गिरते हुए सिक्के दिखें, तो वैभव का वरदान मिलता है. गिरते सिक्कों का मतलब है- हर दिशा में संपन्नता. सोने के सिक्के केवल धन और वैभव का ही प्रतीक नहीं है, इसका विस्तृत अर्थ हर तरह की संपन्नता से है. सिक्के किसी बर्तन या पात्र में गिर रहे हों तो अच्छा है.

चित्र में यदि माता के दोनों ओर ऐरावत हाथी मौजूद हों और धन की वर्षा कर रहे हो तो इससे घर में कभी धन की कमी नहीं होती है. इसी तरह यदि सूंड में कलश लिए हुए हाथी हो तो शुभ माना जाता है. अगर हाथी पानी में खड़े हों और सिक्के बरसा रहे हों तो यह बहुत शुभ माना जाता है.

लक्ष्मी मां की तस्वीर में हाथियों को पानी फेंकते हुए दिखाया जाता है. ये 4 हाथी चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. सफेद रंग के हाथी पवित्रता का प्रतीक हैं. हिंदू मान्यताओं में, हाथी को बुद्धिमानी का प्रतीक भी माना जाता है. अक्सर धन की प्राप्ति के बाद लोग गलत रास्ते पर चलने लगते हैं इसीलिए धन के साथ बुद्धि का मेल जरूरी है. वैभव और संपत्ति सुफल हो, इसके लिए आपको ऐसी तस्वीर की ही पूजा करनी चाहिए.

ऐसी मान्यता है कि अकेली लक्ष्मी मां के चित्र का पूजन नहीं करना चाहिए. गणेश व सरस्वती के साथ उनका पूजन कल्याणकारी होता है. इस तरह धन, विद्या व शुभता की प्राप्ति एक साथ हो जाती है. यदि चित्र में माता लक्ष्मी मुस्कुरा रही है तो आप सदा उनसे आशीर्वाद एवं धन प्राप्त करेंगे. देवी-देवताओं की रौद्र रूप वाली तस्वीरें घर में नकारात्मकता का संचार करती हैं.

जब भी मां लक्ष्मी का पूजन विष्णु जी एवं गणेश जी के साथ करें तो हमेशा गणेश जी लक्ष्मी जी के दाहिने और एवं विष्णु जी लक्ष्मी जी के बाएं होने चाहिए. सही तरीके से पूजन करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है

मां लक्ष्मी जिस चित्र में उल्लू पर बैठी हों, वह तस्वीर नहीं लानी चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है. उल्लू वाहन से आई लक्ष्मी गलत दिशा से आने वाली और जाने वाली धन का संकेत करती है. पूजा स्थल में लक्ष्मी मां की दो मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए. लक्ष्मी मां की दो मूर्तियां आस-पास तो बिल्कुल नहीं रखनी चाहिए. ऐसा होने पर उस घर में कलह होती है.

घर में खंडित मूर्ति या मां लक्ष्मी का फटा हुआ चित्र नहीं रखना चाहिए. वास्तु और ज्योतिष दोनों के हिसाब से ही यह अशुभ माना जाता है.

धनतेरस पूजा विधि-

1. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

2. अब गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।

3. भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।

4. अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें।

5. अब आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें।

6. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें।

7. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं।

दीपदान का शुभ मुहूर्त-

धनतेरस के दिन दीपदान की भी परंपरा है। इस साल शाम 5:32 से 5:59 मिनट के बीच पूजा और दीपदान करना फलदायी साबित होगा।

क्यों किया जाता है दीपदान-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ होता है। कहते हैं कि एक दिन दूत ने यमराज से बातों ही बातों में प्रश्न किया कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न के उत्तर में यमराज में कहा कि व्यक्ति धनतेरस की शाम यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इसी मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन लोग दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते हैं।

धनतेरस से जुड़ी पढ़ें ये पौराणिक कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे। कहते हैं कि तभी से धनतेरस मनाया जाने लगा। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी बीज मंत्र

ओम श्री श्री आये नम:। - इस मंत्र को माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र कहा जाता है। कहते हैं कि धनतेरस के दिन मंत्र के जाप से मन की मुरादें पूरी होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे। कहते हैं कि तभी से धनतेरस मनाया जाने लगा। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras Puja Subh Muhurat)

स्थिर लग्न वृष 12 नवंबर शुभ चौघड़ियों के साथ को शाम 6.32 से 7.37 तक

स्थिर लग्नसिंह 12 नवंबर रात 11.50 से 2.20 तक शुभ चौघड़िया के साथ रात 12.10 से 1.45 तक

स्थिर लग्न वृश्चिक 13 नवंबर शुभ चौघड़िया के साथ को सुबह 6.51 से 9.08 तक

स्थिर लग्न कुंभ 13 नवंबर शुभ चौघड़ियों के साथ को दोपहर को 12.50 से 1.22 बजे तक

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