भारत
दिव्यांग के हौसले मजबूत, जुगाड़ की नाव से की ट्रेनिंग, पढ़े प्रेरणादायक स्टोरी
jantaserishta.com
5 Oct 2021 11:43 AM GMT
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भोपाल: कहते हैं मेहनत करने वालों को उनकी मंजिल जरूर मिलती है. कुछ ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश की रहने वाली प्राची यादव की. प्राची यादव बचपन से दिव्यांग हैं लेकिन उनके हौसले इतने मजबूत हैं कि बेहद कम संसाधन होने के बावजूद उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक के कैनो इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. फिलहाल प्राची भोपाल में ट्रेनिंग ले रही हैं और उनका लक्ष्य आगामी एशियन गेम्स और अगले पैरालंपिक गेम्स हैं.
प्राची यादव को बचपन से तैराकी का शौक था लेकिन साल 2018 में उन्होंने कैनोइंग में हाथ आजमाने का फैसला किया. हालांकि, प्राची के लिए ये आसान नहीं था क्योंकि पैरा खिलाड़ी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली कैनोइंग बोट काफी महंगी आती है. प्राची ने जुगाड़ की नाव से ट्रेनिंग शुरू की. इसके लिए सामान्य नाव को उनके कोच ने पैरा खिलाड़ियों के इस्तेमाल होने लायक बनवाया जिससे लंबे समय तक प्राची ने ट्रेनिंग ली. प्राची की मेहनत रंग लाई और प्राची ने टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया और सहभागिता भी की
प्रचाी ने साल 2019 में पहला नेशनल खेला और एक गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद पौलेंड में हुई प्रतियोगिता में प्राची 8वें स्थान पर रहीं. उसके बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में प्राची टॉप 10 में रहीं. इसके बाद उनका टोक्यो पैरालंपिक के लिए चयन हो गया. फिलहाल प्राची के पास ट्रेनिंग के लिए उचित कैनोइंग बोट मौजूद है जिससे वो हर रोज 5 घंटे ट्रेनिंग कर रही हैं. आजतक से बात करते हुए प्राची ने बताया कि साल 2019 से ट्रेनिंग ले रही हूं. मेरे पास दिव्यांगों के लिए आने वाली विशेष नाव नहीं थी. इसलिए जुगाड़ से नाव बनवाई. इसमें तीन बांस लगे जिससे बैलेंस बन सके.
प्रची यादव ने कहा कि अब मेरा लक्ष्य एशियन गेम्स और 2024 के पैरालंपिक में पदक हैं. उन्होंने कहा कि पहले स्विमिंग करती थी लेकिन 2019 से कैनोइंग शुरू की है. चाहती हूं कि इस खेल की तरफ लड़कियों की दिलचस्पी बढ़े. प्राची को ट्रेनिंग दे रहे कोच मयंक ठाकुर ने बताया कि वो काफी मेहनत करती हैं और फिलहाल एशिया में नंबर वन की पोजीशन रखती हैं. उन्होंने बताया कि प्राची एशियन गेम्स और पैरालंपिक्स में मेडल जीतें, इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.
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