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तलाक केस: पति को आवास छोड़ने का आदेश दिया गया, जानें पूरा मामला
jantaserishta.com
17 Aug 2022 9:58 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
अनोखा फैसला सुनाया है.
नई दिल्ली: तलाक के एक मामले में कोर्ट ने अनोखा फैसला सुनाया है. तमिलनाडु की मद्रास हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में पति को ही घर छोड़ने का आदेश दे दिया. मद्रास हाईकोर्ट ने साथ ही पति को ये आदेश भी दिया कि पत्नी और बच्चों की जिंदगी डिस्टर्ब मत करो. न्यायमूर्ति आरएन मंजूला की पीठ ने उद्योगपति पति से पत्नी, दो बच्चों को छोड़कर अपने लिए कहीं और आवास की तलाश करने के लिए भी कहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर पति-पत्नी एक ही छत के नीचे रहते हैं तो उनका एक-दूसरे के प्रति व्यवहार दूसरे से प्राप्त सम्मान को परिभाषित करने में हमेशा अहम होता है. कोर्ट ने कहा कि अगर पति के खराब व्यवहार से घर की शांति भंग होती है तो उसे भी घर से निकाल कर परिवार को व्यावहारिक सुरक्षा देने में किसी तरह की झिझक नहीं होनी चाहिए.
बताया जाता है कि उद्योगपति की वकील पत्नी ने तलाक के लिए चेन्नई की एक फैमिली कोर्ट में दायर की थी. पत्नी ने तलाक की अर्जी पर फैसला आने तक अपने बच्चों के हित के लिए पति को घर से निकलने के निर्देश देने की मांग करते हुए एक और याचिका दायर की थी. फैमिली कोर्ट ने वकील की याचिका पर पति को घर की शांति भंग नहीं करने के निर्देश दिए थे लेकिन पत्नी इस आदेश से संतुष्ट नहीं थी.
पत्नी ने पुनर्विचार याचिका दायर की जिस पर न्यायमूर्ति मंजूला ने पति को घर से निकल जाने का आदेश दिया है. फैमिली कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी टिप्पणी की है कि याचिकाकर्ता और उसके पति के बीच वैवाहिक संबंध ठीक नहीं हैं जिससे परिवार जंग का मैदान बन गया है. कोर्ट ने पत्नी और पति की ओर से दी गई दलील का भी उल्लेख किया.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के मुताबिक उसके पति का व्यवहार काफी खराब है और वह उद्दंड है. वहीं, पति का दावा है कि वह बहुत अच्छा पिता है और वकील होने के कारण पत्नी उसे कोर्ट घसीट लाई. कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के दो बच्चे हैं जिनकी उम्र 10 और छह साल है. पति का खराब बर्ताव बच्चों की परवरिश में समस्याएं उत्पन्न करेगा.
मद्रास हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि अगर एक पक्ष आए दिन कोई बखेड़ा खड़ा करता है और उसका व्यवहार बहुत आक्रामक है तो पत्नी और बच्चों को डर और असुरक्षा के माहौल में रहने को विवश नहीं किया जा सकता.
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