झारखंड की एक ज़िला अदालत ने दुष्कर्म के एक मामले में सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है. चतरा में गुरुवार को अदालत ने नाबालिग के साथ बलात्कार करने के एक आरोपी को 22 साल के लिए सख्त कैद की सज़ा सुनाई. करीब दो साल पुराने इस मामले में ज़िला अदालत के इस फ़ैसले में यह भी कहा गया कि अगर कैद के अलावा दोषी पर जो जुर्माना लगाया गया है, अगर उसने वह नहीं भरा तो सख्त कैद की सज़ा एक साल के लिए और बढ़ा दी जाएगी.
10 अक्टूबर 2019 के दुष्कर्म के एक मामले में अतिरिक्त ज़िला न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह ने यह फैसला सुनाया. चतरा के सदर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाली बरेनी गांव में दो साल पहले यह घटना हुई थी और काफी चर्चा में रही थी. उस वारदात के बारे में जानिए, जिसकी 20 महीनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी विलेश यादव को दोषी करार दिया.
मामले की जानकारी के अनुसार जब नाबालिग पीड़िता अपने मवेशियों को चराने के लिए गांव के पास जंगल में गई थी, तभी मौके का फायदा उठाते हुए विलेश यादव ने घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था. यादव ने नाबालिग को पकड़कर पहले उसके हाथ, पैर बांधकर मुंह में कपड़ा ठूंसा था और फिर बलात्कार किया था.
इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था और पुलिस ने कोर्ट के सामने मामले से जुड़े 11 गवाहों को पेश किया. मीडिया में आई रिपोर्ट्स की मानें तो चतरा फैसले के मुताबिक कैद की सज़ा के साथ ही यादव पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी ज़िला अदालत ने ठोका. गौरलतब है कि कानून के मुताबिक नाबालिग के साथ बलात्कार के दोषी को कम से कम 10 साल की सज़ा और ज़्यादा से ज़्यादा आजीवन कारावास का प्रावधान है. इस कानून का हवाला और संदर्भ तब सामने आया था, जब जनवरी 2020 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फरीदाबाद की ट्रायल कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति दर्ज की थी, जिसमें ऐसे दोषी को सिर्फ 7 साल कैद की सज़ा दी थी.