हाईकोर्ट के 2 जजों के झगड़े में सुप्रीम कोर्ट का दखल, देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया
नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों जस्टिस अभिजीत गांगुली और जस्टिस सौमेन सेन की बीच झगड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दोनों जजों में मची रार की जड़ बने जाति प्रमाण पत्र घोटाले के केस को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। इसका मतलब हुआ कि इस …
नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों जस्टिस अभिजीत गांगुली और जस्टिस सौमेन सेन की बीच झगड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दोनों जजों में मची रार की जड़ बने जाति प्रमाण पत्र घोटाले के केस को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। इसका मतलब हुआ कि इस मामले की सुनवाई अब खुद शीर्ष अदालत करेगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला लिया है। इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं। हाई कोर्ट जजों के बीच छिड़े विवाद पर अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था और अब उसकी ओर से यह फैसला आया है।
दरअसल जस्टिस सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की डिविजन बेंच की ओर से पास स्टे ऑर्डर को नजरअंदाज करने वाला आदेश जस्टिस अभिजीत गांगुली की अदालत ने दिया था। अदालत ने दोनों जजों के बीच हुए विवाद को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा कुछ भी कहा तो फिर हाई कोर्ट के कामकाज की गरिमा प्रभावित होगी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'यदि हम सिंगल बेंच या डिविजन बेंच पर कुछ कहें तो वह ठीक नहीं होगा। इससे उच्च न्यायालय की गरिमा प्रभावित होगी। हम इसे अपने तरीके से हैंडल करेंगे।'
हालांकि अदालत ने यह साफ कर दिया कि अब हम इस मामले को देखेंगे। बेंच ने कहा, 'हम इस मामले की सभी कार्यवाहियों को अपने पास ट्रांसफर करते हैं। इस केस को अब हम अपने तरीके से ही देखेंगे। अगले कुछ दिनों में हम इस केस की लिस्टिंग कराते हैं।' हालांकि इस दौरान डिविजन बेंच का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने कई चिंताएं जाहिर कीं। उन्होंने कहा कि जस्टिस गांगुली अब भी ऐसे मामले ले रहे हैं। वह आगे भी ऐसा ही करना जारी रखेंगे। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कुछ चौंकाने वाले तथ्य हैं।
फिर भी अदालत ने डिविजन बेंच और जस्टिस गांगुली की एकल पीठ पर कुछ नहीं कहा। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस होते हैं, जो केसों का आवंटन करते हैं। ऐसे में उनके अधिकारों को लेकर कुछ कहना ठीक नहीं है। यह पूरा मामला उस अर्जी से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बंगाल में फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। यह केस आते ही जस्टिस गांगुली ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था, जबकि अर्जी में भी ऐसी मांग नहीं की गई थी। इस आदेश पर डिविजन बेंच ने उसी दिन स्टे लगा दिया था। इस बेंच में जस्टिस सौमेन सेन और उदय कुमार शामिल थे।
यह मामला ऐसा बढ़ा कि जस्टिस गांगुली ने उसी दिन दोपहर को सीबीआई को केस के दस्तावेज भी देने को मंजूरी दे दी। फिर अगले दिन सुनवाई करते हुए जस्टिस गांगुली की बेंच ने डिविजन बेंच के आदेश को ही नदरअंदाज कर दिया। यही नहीं जस्टिस गांगुली की बेंच ने जस्टिस सौमेन पर कई निजी हमले भी किए और कहा कि उनका भी इस केस में रोल है। यही नहीं उन्होंने जस्टिस सेन पर आरोप लगाया कि वह इस मामले को इसलिए नहीं आगे बढ़ाना चाहते क्योंकि उनके ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से अच्छे रिश्ते हैं। वह चाहते हैं कि अभिषेक बनर्जी किसी केस में न फंसें क्योंकि उनका राजनीतिक भविष्य खराब हो सकता है।