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सागवाड़ा: डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखण्ड क्षेत्र के भीलूड़ा गांव में धुलंडी के मौके पर 200 साल पुरानी अनूठी परंपरा का निर्वहन किया गया. परंपरा के तहत भीलूड़ा गांव में रघुनाथजी मंदिर के सामने मैदान में होली के रंग नहीं पत्थर बरसाए गए. ढोल कुंडी की थाप पर होरिया की चीत्कार के साथ एक-दूसरे पर जमकर पत्थर फैंके गए. पत्थरबाजी में दोनों पक्षों के 48 लोग घायल हो गए. गंभीर घायल 3 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है.
होली के दूसरे दिन शुक्रवार को डूंगरपुर के भीलूड़ा गांव में पत्थरमार होली खेली गई. शाम होते ही भीलूड़ा समेत आसपास गावों के लोग ढोल कुंडी की थाप पर गैर नृत्य करते हुए रघुनाथजी मंदिर के पास एकत्रित हुए. मंदिर में पूजा अर्चना की ओर फिर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी.
इसके बाद गावों के लोग दो गुटों में बंट गए और ढोल कुंडी की धुन के साथ नाचते हुए पत्थर बरसाना शुरू कर दिया. होरियां की चीत्कार लगाते हुए दोनों पक्षों ने जमकर एक दूसरे पर पत्थर मारे. गोफन, गिलोर से दूर दूर तक पत्थर फैंके. वहीं, पत्थरों की मार से बचने के लिए सिर पर रूमाल, ढाल लेकर बचने का प्रयास करते रहे.
डेढ़ घंटे तक चली पत्थर मार होली से दोनों पक्षों के 48 लोगों को चोटें आई हैं. पत्थर लोगों के सिर, हाथ पैर और मुंह पर लगे, जिससे खून बहने लगा. घायलों को भीलुड़ा अस्पताल लेकर गए. डॉक्टरों ने घायलों का इलाज किया. वहीं तीन गंभीर घायलों को सागवाड़ा हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया. देर शाम को पत्थर मार होली खत्म हुई और फिर मंदिर में दर्शन कर लोग घरों को लौट गए. मान्यता है की पत्थर मार होली से जो खून जमीन पर गिरता है उससे गांव में कोई विघ्न नहीं आता है और गांव में खुशहाली रहती है. इधर पत्थरों की राड के चलते पुलिस जाब्ता भी तैनात किया गया था.
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