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इंजीनियर से IPS और फिर IAS बना दीपांकर चौधरी...जानिए इनकी सफलता की कहानी

Admin2
20 Feb 2021 4:14 PM GMT
इंजीनियर से IPS और फिर IAS बना दीपांकर चौधरी...जानिए इनकी सफलता की कहानी
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दीपांकर चौधरी का यूपीएससी सफर आसान नहीं रहा. अपने करियर के करीब पांच साल देने के बाद दो बार उनका चयन यूपीएससी सीएसई परीक्षा में हुआ. पहली बार में रैंक के अनुरूप मिला आईपीएस पद. दीपांकर ने यह सेवा ज्वॉइन तो कर ली लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने यह पद ज्वॉइन कर लिया और तैयारी करते रहे. अगले ही प्रयास में दीपांकर को मंजिल मिली जब वे 42वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सेलेक्ट हो गए. इसी के साथ उन्हें उनका मन-मुताबिक आईएएस पद भी मिला. अगर दीपांकर के एजुकेशनल बैकग्राउंड पर नजर डालें तो यूपीएससी के क्षेत्र में आने के पहले दीपांकर ने दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. ग्रेजुएशन करने तक दीपांकर का इस क्षेत्र में आने का कोई इरादा नहीं था. फलस्वरूप ग्रेजुएशन के बाद वे एक कंपनी में नौकरी करने लगे. यहां कुछ साल काम करने के बाद दीपांकर को यूपीएससी का ख्याल आया और वे जुट गए तैयारियों में. काफी कोशिश के बाद भी दीपांकर पहले दो प्रयासों में असफल रहे. लेकिन अपनी गलतियों से सीख ले दीपांकर ने तीसरे और चौथे प्रयास में सफलता हासिल की.

दीपांकर का अनुभव -

दीपांकर अपना अनुभव शेयर करते हुए कहते हैं कि किताबों को लेकर उन्होंने कभी बहुत तनाव नहीं लिया. जो स्टैंडर्ड बुक्स बाजार में उपलब्ध हैं, उन्हीं की सहायता से तैयारी की. वे कहते हैं कि किताब बदलने से बहुत फर्क नहीं पड़ता लेकिन आप उस किताब को कितने अच्छे से पढ़ रहे हैं और रिवाइज कर रहे हैं उससे फर्क पड़ता है. इस विषय में आगे बात करते हुए दीपांकर कहते हैं कि मंथली करेंट अफेयर्स मैगजींस बहुत जरूरी हैं. इनका कंपाइलेशन पढ़ें. सिलेबस के अनुसार तैयारी करें और जो विषय सिलेबस में दिए हुए हैं, उन्हें जरूर तैयार करें. समय कम हो तो आप सेलेक्टिव स्टडी कर सकते हैं पर यूपीएससी जैसी परीक्षा में सेलेक्टिव स्टडी की सलाह नहीं दी जा सकती.

दूसरे कैंडिडेट्स से अलग दीपांकर मानते हैं कि इस परीक्षा के लिए एक साल के नहीं कम से कम ढ़ाई साल के करेंट अफेयर्स पढ़ने चाहिए. उनके अनुसार आजकल परीक्षा का जो पैटर्न हो गया है इसमें करेंट अफेयर्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है.

दीपांकर इसके बाद दो मख्य बिंदुओं पर आते हैं. पहला तो रिवीजन और दूसरा टेस्ट पेपर्स. वे कहते हैं कि चाहे जितनी पढ़ाई कर लें लेकिन रिवीजन नहीं करेंगे तो सब बेकार है. अपना उदाहरण बताते हुए दीपांकर कहते हैं कि चार प्रयासों में उन्होंने एक किताब को इतनी बार पढ़ लिया था कि वे टिप्स पर बता सकते थे कि किस किताब के किस पेज पर कौन सा पैराग्राफ लिखा है.

दूसरा अहम बिंदु है, टेस्ट पेपर देना ताकि अपनी तैयारियों को परखा जा सके. यहां दीपांकर एक बात जोड़ना नहीं भूलते की पेपर देने से काम नहीं चलता. पेपर देने के बाद उसे एनालाइज जरूर करें, जिससे कहां कमी है यह पता चल जाए. अंत में बस इतना ही कि पढ़ाई के साथ-साथ अपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखें. दिन के शेड्यूल में एक्सरसाइज को शामिल करें साथ ही और कुछ ऐसा भी करें जिससे आपका दिमाग फ्रेश रहे. अगर आप ही स्वस्थ नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी. इसलिए हेल्थ को गैरजरूरी न मानें और इस पर भी पूरा ध्यान दें.


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