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थोक विक्रेताओं के लिए डीज़ल के दाम 25 रुपये प्रति लीटर बढ़ गए, बल्क यूजर्स की चिंताएं बढ़ गई

jantaserishta.com
21 March 2022 5:54 PM GMT
थोक विक्रेताओं के लिए डीज़ल के दाम 25 रुपये प्रति लीटर बढ़ गए, बल्क यूजर्स की चिंताएं बढ़ गई
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क: देश में थोक विक्रेताओं के लिए डीज़ल के दाम 25 रुपये प्रति लीटर बढ़ गए हैं. ऐसे में बल्क यूजर्स की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल के दाम मुंबई में 122 रुपये और दिल्ली में 115 रुपये प्रति लीटर हो गया है. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में तकरीबन 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसके बाद भारत में बल्क यूज़र्स की चिंताएं भी बढ़ गई हैं, क्योंकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे बल्क कंज्यूमर में ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, मॉल्स, बस फ्लीट ऑपरेटर, काफी इंडस्ट्रीज़ जो बल्क डीज़ल खपत करते हैं उनके लिए मुश्किल हो जाएगी.

पेट्रोलियम एक्सपर्ट अजय बंसल का कहना है कि इस वक़्त देश के लोगों के हित में सेकंशन्स को इग्नोर करते हुए रूस से सस्ते में तेल लेना ही अच्छा फैसला होगा. उन्होंने कहा कि आज से 10 साल पहले भी ऐसा हुआ था जब दाम बढ़ गया था. उस टाइम भी ऑयल बॉन्ड इश्यू हुए थे. यह वॉर का बड़ा इंपैक्ट है. उन्होंने आगे कहा कि गर्मियों के सीज़न में यह देखा गया है कि अमेरिका और यूरोप में जो ऑयल की डिमांड है उसका दाम कम हो जाता है.
अजय बंसल का कहना है कि रूस ने सस्ते में क्रूड ऑयल देने की बात कही है, ऐसे में सरकार ने अगर स्टैंड ले लिया तो मुझे नहीं लगता और दाम बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी. पेट्रोल-डीज़ल के दामों से ट्रांसपोर्ट डायरेक्ट लिंक है. ट्रांसपोर्ट कॉस्ट काफी हद तक बढ़ी है.
थोक विक्रेताओं के लिए 25 रुपये प्रति लीटर महंगा होने से दिल्ली में डीजल की कीमत 115 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में यह कीमत 122 रुपये प्रति लीटर हो गई है. हालांकि यह कीमत की बढ़ोतरी सिर्फ होलसेल रेट में ही हुई है, रिटेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यानी आम लोगों के लिए दाम नहीं बढ़े हैं.
दम बढ़ने का सीधा असर उन लोगों पर पड़ा है जो पेट्रोल कंपनियों से सीधे खरीदते हैं. ऐसे हालातों में हमने आर्थिक मामलों के जानकार से भी बात की जिन्होंने हमें समझाया कि किस तरह से थोक विक्रेताओं के लिए डीजल की बढ़ी कीमतें आम आदमी पर भी असर डाल सकती हैं.
आर्थिक मामलों के जानकार आकाश जिंदल ने बताया कि इससे आम आदमी पर असर जरूर होगा और वह भी यह मानते हैं कि इस वक्त रूस से तेल लेना एक बेहतर फैसला साबित होगा. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम बढ़ रहे हैं. कच्चा तेल 35 से 40 फीसदी तक महंगा हो गया है. हम 75 से 80 फीसदी क्रूड ऑयल इम्पोर्ट करते हैं, ऐसे में आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में रूस से क्रूड ऑयल इम्पोर्ट करने का जो ऑप्शन है उसको ले लेना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज के वक़्त में होलसेल इंफ्लेशन 13.11 फीसदी के करीब है और इसका मतलब साफ है कि आम आदमी महंगाई का शिकार है. पहले ही कोरोना के कारण आम आदमी की कमाई कम है और अब वापस से कोरोना के दस्तक की बात हो रही है, ऐसे में हिंदुस्तान के लिए ज़रूरी है कि हम अपनी महंगाई कम रखें. अगर रूस से क्रूड ऑयल सस्ता मिलता है तो ले लेना चाहिए, क्योंकि अगर गोलबल या यूएस सैंक्शन की बात है तो उसे इग्नोर करना चाहिए क्योंकि हिंदुस्तान को अपने आम आदमी की ख्याल रखना है.
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